Demolition of civilian Houses in Mewat is the result of brutal action of Government Agencies: Maulana Mahmood Madani

Maulana Mahmood Madani Denounces State Brutality in Mewat: Extends Support to Bulldozer Victims by handing over Keys to Jamiat-built houses in NUH

New Delhi, November 13 —Maulana Mahmood Asa’d Madani, President of Jamiat Ulama-i-Hind, denounced the demolition of houses in Mewat in August as an act of state-sponsored brutality targeting a particular community. Maulana Madani expressed his dismay while handing over keys to houses constructed by Jamiat to families affected by the riots and government actions in Nalhar, Mewat.

Addressing the gathering, Maulana Madani questioned the government's bulldozer actions, stating, "Should I call this state terrorism? Whatever it is, it is a black mark on the forehead of this country's democracy." He emphasized that any government must adhere to the constitution, and deviation from the law would brand it as anarchic rather than a lawful governing body.

Maulana Madani added, "The architects of this country did not liberate it for oppression and discrimination but for justice and law. The Haryana government's actions in Mewat reflect lawlessness, making the poor and helpless the primary victims."

Maulana Madani, who visited Mewat and participated in a program jointly organized by Jamiat Youth Club and Deeni Ta’alimi Board, called attention to the need for justice and unity. He underlined the importance of every class contributing to the nation-building process.

During his visit, Maulana Madani met with Mewat riot victims and assessed ongoing rehabilitation work initiated by Jamiat. He condemned the targeting of mosques in Mewat during the riots and criticized the lack of action by the government and the police.

The people of Mewat welcomed his arrival in Mewat with gratitude. A letter of thanks was presented to the legal and welfare cooperation provided by Jamiat during challenging times.

Inaugurating the Jamiat Youth Club camp at Madrasa Ubai bin Kaab at Ghasera, Maulana Madani stressed the importance of instilling passion in children and creating leaders rather than focusing solely on infrastructure. He highlighted the role of institutions in producing individuals contributing to religious, social, and national fields.

In a separate joint meeting of Jamiat, Tablighi Jamaat, and Madrasa at Madrasa Moinul Islam Nuh, Maulana Madani emphasized the establishment of an organized Maktab.

The joint delegation included Maulana Hakeemuddin Qasmi, General Secretary of Jamiat Ulama-i-Hind, Maulana Yahya Karimi, State President of JUH, Maulana Mufti Zahid Qasmi, Imam of Jama Masjid Nuh, and several other prominent members.

 

मेवात में नागरिकों के घरों का विध्वंस सरकारी एजेंसियों की क्रूर कार्रवाई का नतीजाः मौलाना महमूद असद मदनी

  • जमीअत अध्यक्ष ने दंगा पीड़ितों को जमीअत उलमा-ए-हिंद के जरिए बनाए गए घरों की चाबियां सौंपी, मेवात के लोगों ने जमीअत उलमा-ए-हिंद को धन्यवाद दिया
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    नई दिल्ली, 13 नवंबर 2023। मेवात में नागरिकों के घरों का विध्वंस किसी दंगाई समूह या सांप्रदायिक हिंसा के कारण नहीं बल्कि सरकारी एजेंसियों की क्रूर कार्रवाई का परिणाम है। जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने उक्त बातें मेवात नूंह के नल्हड़ में दंगों और सरकारी बुलडोजर से प्रभावित परिवारों को जमीअत द्वारा निर्माण किए गए घरों की चाबियां सौंपते हुए कहीं। मौलाना मदनी ने कहा कि अब मैं अपनी सरकार को क्या कहूं, क्या मैं इस कार्रवाई को ’सरकारी आतंकवाद’ कहूं, लेकिन जो कहा जाए, यह लोकतंत्र और इस देश के माथे पर कलंक है। देश के नागरिकों की जान-माल और उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी जिन मशीनरियों पर थी, उन्होंने नागरिकों के घरों को ध्वस्त कर दिया, जो किसी भी सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं है। मौलाना मदनी ने कहा कि कोई भी सरकार अगर संविधान और कानून से भटक जाए और किसी भी वर्ग को निशाना बनाए तो उसे सरकार नहीं बल्कि अराजकतावादी कहा जाएगा। इस देश के निर्माताओं ने देश को इसलिए आजाद नहीं कराया था कि यहां अत्याचार, प्रताड़ना और भेदभाव का बोलबाला हो, बल्कि इसलिए कराया था कि यहां न्याय और कानून का शासन हो। लेकिन हरियाणा सरकार ने मेवात की धरती को अपने गुस्से और अराजकता का निशाना बनाया और इसका सबसे अधिक नुकसान गरीबों और असहायों को हुआ।

    ज्ञात हो कि मौलाना मदनी रविवार सुबह मेवात पहुंचे और उन्होंने जमीअत यूथ क्लब और व्यवस्थित मकतब (पाठशाला) के लिए आयोजित दो कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। बाद में मौलाना मदनी के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने मेवात दंगा पीड़ितों से मुलाकात की और जमीअत द्वारा किए रहे पुनर्वास कार्यों की समीक्षा की। मौलाना मदनी ने नल्हड़ पहुंच कर जमीअत की ओर से आस मोहम्मद, शेख अहमद और इकबाल के घरों का उद्घाटन किया जिसके निर्माण में जमीअत ने सहयोग किया था।

    इस अवसर पर मौलाना मदनी ने कहा कि मेवात में दंगाइयों ने मस्जिदों को निशाना बनाया, लेकिन वहां सरकार और पुलिस प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। इन मस्जिदों की भी मरम्मत जमीअत उलमा-ए-हिंद ने कराई। उन्होंने कहा कि वह तोड़ें, हम बनाएं, यह सिलसिला अच्छा नहीं है। इस देश के निर्माण में सभी वर्गों को शामिल होना चाहिए और विध्वंसकारी शक्तियों को मिलकर परास्त करना चाहिए।

    उधर वकील ताहिर रोपड़िया ने मौलाना मदनी से मुलाकात की और कानूनी उपायों का ब्योरा प्रस्तुत किया। इस मौके पर मौलाना मदनी ने उन लोगों से भी मुलाकात की जो जमानत पर रिहा हुए हैं।

मेवात के लोगों ने मौलाना मदनी का किया स्वागत

मदरसा अबी बिन काब घासीरा में मोहतमिम मौलाना शेर मोहम्मद अमीनी ने प्रशंसा-पत्र प्रस्तुत कर मौलाना मदनी के नेतृत्व में जमीअत की ओर से मेवात दंगा पीड़ितों की कानूनी और कल्याणकारी सहायता और मस्जिदों के पुनर्वास के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि अगर आप इस अवसर पर खड़े नहीं होते तो मेवात की जनता निराशा में डूब जाती। हम आपकी सेवाओं और बलिदानों को हमेशा याद रखेंगे। इस अवसर पर मौलाना मदनी ने मदरसा में जमीअत यूथ क्लब के शिविर का भी उद्घाटन किया। यहां मौलाना मदनी ने अपने संबोधन में कहा कि एक शिक्षक का कौशल केवल यह नहीं है कि वह बच्चों को पढ़ा दे, बल्कि एक शिक्षक का हुनर यह होता है कि वह बच्चों में लगन पैदा करे। मौलाना मदनी ने कहा कि कोई संस्था भवनों से नहीं बल्कि नेतृत्व पैदा करने से बनती है। जो संस्था जितनी संख्या में धार्मिक, सामाजिक और सामुदायिक क्षेत्र में सेवा करने वाले लोगों को तैयार करेगी, वह उतना ही सफल मानी जाएगी। मौलाना मदनी ने भारत स्काउट एण्ड गाइड ट्रेनिंग के बारे में कहा कि इससे छात्रों में सुधार और दूसरों के लिए जीने की भावना जागृत होगी।

मेवात के लोग व्यवस्थित मकतब (पाठशालाओं) को अपना लक्ष्य बनाएं

मेवात की प्रतिष्ठित शिक्षण संस्था मदरसा मोइन-उल-इस्लाम नूंह में जमीअत, तब्लीगी जमात और दीनी मदरसों के पदाधिकारियों की संयुक्त बैठक हुई, जिसमें एक व्यवस्थित मकतब की स्थापना पर प्रस्तुति दी गई। इस मौके पर अपने विशेष संबोधन में मौलाना मदनी ने कहा कि अगर हमारे संघर्षों को अल्लाह ने स्वीकार कर लिया तो हम मेवात के सभी बच्चे और बच्चियों में धर्म पहुंचाने में कामियाब हो जाएंगे। मौलाना मदनी ने मकतब की स्थापना के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि जो शिक्षा मदरसों में दी जाती है, वह शिक्षा अनिवार्य कर्तव्य है, लेकिन जो शिक्षा मकतब में दी जाती है वह मूल कर्तव्य है।

उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि मदरसे, जमाअत और जमीअत वाले अपनी कमजोरियां पीछे छोड़कर एक हो जाएं और इस काम को घर-घर तक पहुंचाएं। मौलाना मदनी ने कहा कि अगर किसी घर की मां धार्मिक है, तो पीढ़ी धार्मिक है, अगर मां पढ़ी-लिखी नहीं है तो बच्चे भले पढ़ भी लें लेकिन उनके संस्कार पूर्णतः सही नहीं होंगे।

मौलाना मदनी ने कहा कि जब मैं मेवात आ रहा था तो जैसे ही सड़क पर एक बुजुर्ग व्यक्ति को पगड़ी पहने बैठा देखा तो मैं समझ गया कि मेवात शुरू हो गया है, लेकिन यह तो कुछ दिनों की बात है, वरना नई पीढ़ी अपनी पहचान बदल रही है। इसलिए कड़ी मेहनत की जरूरत है। इस अवसर पर जमीअत उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने शिक्षा के चार चरणों पर प्रकाश डाला, जिसमें पहला चरण मां की गोद है, उसके बाद दूसरा चरण मकतब की शिक्षा है जो मूल कर्तव्य है, और तीसरा चरण मदरसे की शिक्षा है जो अनिवार्य कर्तव्य है और चौथा चरण तब्लीग, बैअत व इरशाद और जमीअत उलमा-ए-हिंद के आंदोलनों के प्रति प्रतिबद्धता है। दीनी तालीमी बोर्ड के प्रमुख पदाधिकारी हाफ़िज़ मोहम्मद आसिम बैंगलोर और मौलाना शोएब बहराईची का भी संबोधन हुआ।

इससे पूर्व प्रसिद्ध धार्मिक विद्वान मौलाना सईद अमीनी, उत्तराधिकारी मौलाना सैयद असद मदनी रहमतुल्लाह अलैह के निधन की खबर सुनकर सबसे पहले जमीअत उलमा-ए-हिंद का एक प्रतिनिधिमंडल मालब पहुंचा और जनाज़े की नमाज़ में शामिल हुआ। मौलाना मदनी ने एक संक्षिप्त शोक भाषण के बाद नमाज़-ए-जनाज़ा का नेतृत्व किया और हज़रत के बेटे कारी नईम को संयम और धैर्य रखने का हौसला दिया।

मेवात दौरे पर मौलाना मदनी के साथ जमीअत उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी, जमीअत उलमा मेवात हरियाणा पंजाब और हिमाचल प्रदेश के प्रमुख मौलाना याह्या करीमी, मरकज़ जामा मस्जिद नूंह के इमाम मौलाना मुफ्ती ज़ाहिद कासमी, जमीअत उलमा मेवात क्षेत्र के अध्यक्ष कारी मोहम्मद असलम बडीडवी, जमीअत उलमा हरियाणा, पंजाब और हिमाचल के उपाध्यक्ष मौलाना शेर मोहम्मद अमीनी, हाफ़िज़ मोहम्मद आसिम अब्दुल्ला बैंगलोर, जमीअत उलमा मेवात के सचिव मुफ़्ती मोहम्मद सलीम साकरस, मास्टर कासिम, मास्टर अफ़ज़ल महों, जमीअत उलमा-ए-हिंद के वरिष्ठ संयोजक मौलाना गय्यूर अहमद कासमी, जमीअत यूथ क्लब के सचिव कारी अहमद अब्दुल्ला, मौलाना शोएब बहराइची, मौलाना अय्यूब सोनक, मौलाना अजीमुल्लाह कासमी, मौलाना मुफ्ती सलीम बनारसी गुड़गांव, मौलाना उस्मान, मौलाना तय्यब, मौलाना नासिर, मौलाना ज़करिया, मौलाना यामीन, मौलाना दिलशाद, मोहम्मद आलम मेवात आदि उपस्थित रहे।

 
 
میوات میں شہریوں کے مکانات کا انہدام سرکاری ایجنسیوں کے ظالمانہ اقدام کا نتیجہ: مولانا محمود اسعد مدنی
مولانا مدنی نے فساد متاثرین کو جمعیۃ کی طرف سے تعمیرکردہ مکانات کی چابی سونپی، اہل میوات نے کہا کہ ’شکریہ جمعیۃ علماء ہند ‘

 نئی دہلی۱۳؍ نومبر
 میوات میں شہریوں کے مکانات کا انہدام کسی فسادی گروہ یا فرقہ وارانہ تشدد کی وجہ سے نہیں بلکہ سرکاری ایجنسیوں کے ظالمانہ اقدام کا نتیجہ ہیں ۔ جمعیۃ علماء ہند کے صدر مولانا محمود اسعد مدنی نے یہ بات میوات نوح کے نلہڑ میں فساد اور سرکاری بلڈوزر سے متاثرہ خاندانوں کو جمعیۃ کی طرف سے تعمیر کردہ مکانات کی چابی سونپتے ہوئے کہی۔ مولانا مدنی نے کہا کہ اب میں اپنی سرکار کو کیا کہوں، کیا میں اس عمل کو’ سرکاری دہشت گردی‘ کہوں، لیکن جو بھی کہا جائے یہ جمہوریت اور اس ملک کے ماتھے پر سیاہ داغ ہے۔ ملک کے شہریوں کے جان و مال اور ان کی پراپرٹی کی حفاظت کی ذمہ داری جن مشنریوں پر تھی ، انھوں نے شہریوں کے مکانات ڈھا دیئے ، جو کسی بھی مہذب سماج میں قابل قبول نہیں ہے۔مولانا مدنی نے کہا کہ کوئی بھی سرکار اگر آئین و قانون سے ہٹ جائے اور کسی بھی طبقے کو نشانہ بنائے تو اسے حکومت نہیں انارکسٹ کہا جائے گا ۔ اس ملک کے معماروں نے ملک کو اس لیے آزاد نہیں کرایا تھا کہ یہاں ظلم و ستم اور امتیاز کا راج ہو بلکہ اس لیے کرایا تھا کہ یہاں عدل و انصاف اور قانون کا راج ہو۔ لیکن ہریانہ سرکار نے میوات کی سرزمین کو اپنے غصے اور لاقانونیت کا شکار بنایا اور اس کا سب سے زیادہ نقصان غریبوں اور لاچار لوگوں کو ہوا۔

واضح ہو کہ مولانا مدنی اتوار کی صبح میوات پہنچے اورانھوں نے جمعیۃ یوتھ کلب اورمنظم مکتب کے لیے منعقد دو پروگراموں میں شرکت کی۔ بعدہ مولانا مدنی کی قیادت میں وفد نے میوات فساد متاثرین سے ملاقات کی اور جمعیۃ کی طرف سے جاری بازآبادکاری کے کاموں کا جائزہ لیا۔مولانا مدنی نے نلہڑ پہنچ کر جمعیۃ کی طرف سے آس محمد ، شیخ احمد اور اقبال کے گھروں کا افتتاح کیا، جن کی تعمیر میں جمعیۃ نے تعاون کیا تھا ۔

 اس موقع پر مولانا مدنی نے کہا کہ میوات میں فسادیوں نے مسجدوں کو نشانہ بنایا ، لیکن وہاں سرکار اور پولس انتظامیہ نے کوئی کارروائی نہیں کی، ان مسجدوں کی بھی مرمت جمعیۃ علماء ہند نے کرائی، انھوں نے کہا کہ وہ توڑیں ، ہم بنائیں ، یہ سلسلہ اچھا نہیں ہے ۔ اس ملک کی تعمیر میں سبھی طبقے کو شامل ہونا چاہیے اور تخریبی طاقتوں کو مل کر شکست دینا چاہیے ۔

 دوسری طرف ایڈوکیٹ طاہر روپڑیا نے مولانا مدنی سے ملاقات کی اور قانونی اقدامات کی تفصیل پیش کی۔ مولانا مدنی اس موقع پر ان لوگوں سے بھی ملے جو ضمانت پر رہا ہوئے ہیں۔

اہل میوات نے مولانا مدنی کا کیا استقبال
مدرسہ ابی بن کعب گھاسیرہ میں مہتمم مولانا شیرمحمد امینی نے سپاس نامہ پیش کرکے مولانا مدنی کی قیادت میں جمعیۃ کی طرف سے میوات فساد متاثرین کی قانونی ، رفاہی امداد اور مساجد کی بازآبادکاری پر شکر یہ ادا کیا اور کہا کہ اگر اس موقع پر آپ نہیں کھڑے ہوتے تو اہل میوات مایوسی میں ڈوب جاتے ، آپ کی خدمات اور قربانیوں کو ہم ہمیشہ یاد رکھیں گے۔ اس موقع پر مولانا مدنی نے مدرسہ میں جمعیۃ یوتھ کلب کے کیمپ کا بھی افتتاح کیا۔ یہاں مولانا مدنی نے اپنے خطاب میں کہا کہ استاذ کا کمال صرف یہ نہیں ہے وہ بچوں کوپڑھادے بلکہ استاذ کا کمال یہ ہوتا ہے کہ وہ بچوں میں شوق پیدا کرے۔مولانا مدنی نے کہا کہ کوئی ادارہ عمارتوں سے نہیں بلکہ قائد پیدا کرنے سے بنتا ہے۔جو ادارہ جنتی تعداد میں دینی، سماجی و ملی میدان میں خدمت کرنے وا لے افرادپیدا کرے گا ، وہ اتنا ہی کامیاب مانا جائے گا۔ مولانا مدنی نے بھارت اسکاؤٹ ایند گائیڈ ٹریننگ کے بارے میں کہا کہ اس سے طلبہ کے اندر نکھار ان کے اندر دوسروں کے لیے جینے کا جذبہ بھی پیدا ہوگا ۔

اہل میوات منظم مکاتب کو اپنا ہدف بنائیں

 میوات کے قدیم تعلیمی ادارہ مدرسہ معین الاسلام نوح میں جمعیۃ، تبلیغی جماعت اور دینی مدارس کے ذمہ داروں کی مشترکہ میٹنگ منعقد ہوئی، جس میں منظم مکتب کے قیام پر پرزینٹیشن پیش ہوا۔ اس موقع پر اپنے خصوصی خطاب میں مولانا مدنی نے کہا کہ اگر ہماری جد وجہد کو اللہ نے قبول کرلیا تو میوات کے سبھی بچے اور بچیوں تک دین پہنچانے میں ہم کامیاب ہو جائیں گے۔ مولانا مدنی نے مکتب کے قیام کی اہمیت پر زور ڈالتے ہوئے کہا کہ جو تعلیم مدرسوں میں دی جاتی ہے وہ فرض کفایہ ہے، لیکن جو تعلیم مکتب میں دی جاتی ہے وہ فرض عین ہے۔
انھوں نے کہا کہ میری خواہش ہے کہ مدرسے، جماعت اور جمعیت والے اپنی کمزوریوں کو پس پشت ڈال کر ایک ہوجائیں اور اس کام کو گھر گھر تک پہنچائیں۔مولانا مدنی نے کہا کہ اگر کسی گھر کی ماں دیندار ہے تو نسل دین دار ہے، اگر ماں پڑھی لکھی نہیں ہے تو بچے چاہے پڑھ بھی لیں مگر ان کی تربیت کما حقہ نہیں ہو گی۔
مولانا مدنی نے بتایا کہ میں جب میوات آرہا تھا تو جیسے ہی راستے میں ایک بوڑھے شخص کو سڑک پر پگڑی باندھے بیٹھا پایا تو سمجھ لیا کہ میوات شروع ہوگیا ہے، لیکن یہ تو کچھ دنوں کی بات ہے ورنہ نئی نسل اپنی شناخت بدل رہی ہے. اس لیے سخت محنت کی ضرورت ہے ۔ اس موقع پر ناظم عمومی جمعیۃ علماء ہند مولانا حکیم الدین نے تعلیم کے چار مرحلوں پر روشنی ڈالی، جس میں پہلا مرحلہ ماں کی گود ہے ، اس کے بعد دوسرا مرحلہ مکتب کی تعلیم جو فرض عین ہے، تیسرا مرحلہ مدرسے کی تعلیم جو فرض کفایہ ہے اور چوتھا مرحلہ تبلیغ ، بیعت وارشاد اور جمعیۃ علماء ہند کی تحریکات سے وابستگی ہے ۔دینی تعلیمی بورڈ کے اہم ذمہ دار حافظ محمد عاصم بنگلور اور مولانا شعیب بہرائچی کا بھی خطاب ہوا۔
 
ازیں قبل معروف عالم دین مولانا سعید امینی خلیفہ مجاز فدائے ملت مولاناسید اسعد مدنیؒ کے انتقال پر ملال کی خبر پا کر سب سے پہلے جمعیۃ علماء ہند کا وفد مالب پہنچا اور نماز جنازہ میں شرکت کی۔ مولانا مدنی نے مختصر تعزیتی کلمات کے بعد نماز جنازہ کی قیادت کی اور صاحبزادہ محترم قاری نعیم کو صبرو استقامت کی تلقین کی۔

میوات دورے پر مولانا مدنی کے ہمرا جمعیۃ علماء ہند کی جنرل سیکرٹری مولانا حکیم الدین قاسمی،جمعیۃ علماء میوات ہریانہ پنجاب اور ہماچل پردیش کے ناظم اعلی مولانا یحییٰ کریمی، مولانا مفتی زاہدقاسمی امام مرکز جامع مسجد نوح، جمعیۃ علماء حلقہ میوات کے صدر قاری محمد اسلم بڈیڈوی، جمعیۃعلماء ہریانہ ، پنجاب و ہماچل کے نائب صدر مولانا شیر محمد امینی، حافظ محمد عاصم عبداللہ بنگلور، مفتی محمد سلیم ساکرس ناظم جمعیۃ علماء میوات، ماسٹر قاسم، ماسٹر افضل مہوں، مولانا غیور احمد قاسمی سینئر آرگنائزر جمعیۃ علماء ہند، قاری احمد عبداللہ سکریٹری جمعیۃ یوتھ کلب، مولانا شعیب بہرائچی، مولانا ایوب سونک ،مولانا عظیم اللہ قاسمی، مولانا مفتی سلیم بنارسی گڑگائوں ، مولانا عثمان ، مولانا طیب ، مولانا ناصر ، مولانا زکریا، مولانا یامین، مولانا دلشاد، محمد عالم میوات وغیرہ شریک تھے ۔
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مدیر محترم !
اس پر یس ریلیز کو شائع فرما کر شکر گزار کریں
نیاز احمد فاروقی
سکریٹری جمعیۃ علماء ہند
 
 
 
Nov. 13, 2023


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