All Religious Leaders gather at Jamiat Sadbhawana Sammelan to Fight Virus of Communalism

All religious leaders gather at Jamiat 'Sadbhawana Sammelan” to fight virus of communalism


New Delhi: July 6, 2022:- An important 'Sadbhawana Sammelan' was held today at the headquarters of Jamiat Ulama-i-Hind in New Delhi under the auspices of Jamiat Ulama-i-Hind. The meeting was chaired by Maulana Mahmood Madani, President, Jamiat Ulama-i-Hind. This sammelan marked the unity of great leaders of all religions against the growing hatred in the country.

The Sammelan was specially attended by the National Convener of Bharatiya Sarva Dharma Sansad, Sushil G. Maharaj, Acharya Lokesh Mani, President of Ahimsa Vishwa Bharati, and famous religious leader of Ravi Das Samaj, Swaji Vir Singh Hatkari Maharaj, Buddhist Guru Acharya Yeshi Phon Tosk, Pastor Maurish Parker and others. All of them jointly expressed concern over the current situation in the country and said that in this era, the protection of India's composite nationalism and common Sanskrit is everyone's responsibility. Today certain forces are active to spread hatred in the country. And the peace activists are being side-lined, so let's unite to show that peace has always emerged victorious.

In his special address on the occasion, Goswami Sushilji Maharaj, National Convener, Sarvodharma Sansad, said that today India is at a point where such a movement is required more than ever, today the battle is to save the common civilization of the country. Expressing outrage over the discussion on TV, he said that the media had poisoned society by creating a dangerous atmosphere of communalism in the country. But he warned that those who want to break the country will never succeed in their nefarious design. This India belongs to everyone and will always belong to everyone. Everyone has made sacrifices for this country. And this reflects in the presence and positive roles of Jamiat Ulama-i-Hind for the last one hundred years in the country. Therefore no one can question the loyalty of any citizen of the country.

Maulana Mahmood Madani, President of Jamiat Ulama-i-Hind, in his presidential address said that this is the soul of India which is why we are all gathered here. The current situation will not be detrimental merely to a particular community but to the country itself. On the one hand, our dream is for India to become a Vishwa Guru, on the other hand, there is a power that is perpetuating and tarnishing India's heritage and its identity. And those who speak the language of friendship are being side-lined. He said that the hatred cannot be done away by the same response but it can be eliminated by spreading love. Revenge or reaction has no place in Islam or humanity. I am very happy that the soul of India and the leaders of all religions have gathered here in such a difficult time, we are grateful to all of them who came here. “Take this message forward. We have to go and reach out to those who have fallen victim to misunderstandings and hatred and who have become tools of those who spread hatred.”

Acharya Lokesh Muni said that Dharma teaches to combine, not to break. Maulana Madani Sahib is a social engineer who can combine the whole country. We expect him to take forward this message to Kashi, Ayodhya and Ajmer.
The famous religious leader of the Ravidas community Mr Swaji Veer Singh Hatkari Maharaj said that religion does not teach intolerance.
The religious leader of the Buddhist community, Shri Acharya Yashi Phon Tosk said that every religious leader should strive to end religious hatred. The scope of respect for humanity should be broad without barriers.
Sardar Manpreet Singh Singh Ji said that the media has no right to call any person and present him as Dharma Guru. Referring to Guru Nanak Ji, he said that we are not against any Dharma but to oppress in the name of Dharma. The most important Dharma is mutual love. Today we are all connected; there can be no better day than this.
At the beginning of the sammelan, Maulana Hakeemuddin Qasmi, General Secretary of the Jamiat Ulama-i-Hind, said: I have high regard to all the participants who spared their time to unite the heart of people belonging to different communities. And this task is not so easy. We are all ready to sacrifice everything for our country. And this feeling only unites us. For the last several centuries, communal harmony and unity exists in this country where different languages and cultures exist. Our organisation has a glorious history of serving humanity for the last hundred years. Since its inception, this organisation has stood for unity and brotherhood.
Besides all these speakers several speakers including Maulana Niaz Ahmad Farooqui gave speeches on unity.

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Dear Editor
Kindly publish it and oblige
Niaz Ahmad Farooqi
Secretary, Jamiat Ulama-i-Hind

 

जमीयत के सद्भावना सम्मेलन में सर्वधर्म गुरुओं ने लिया हिस्सा


- देश के वर्तमान हालात पर चिंता व्यक्त करते हुए साझा संस्कृति की रक्षा का संकल्प लिया
नई दिल्ली, 06 जुलाई 2022ः
जमीयत सद्भावना मंच, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के तत्वावधान में आज नई दिल्ली स्थित जमीयत उलेमा-ए-हिंद के मुख्यालय के मदनी हॉल में ‘सद्भावना सम्मेलन‘ का आयोजन किया गया। सम्मेलन की अध्यक्षता जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने की।
सम्मेलन में विशेष तौर पर भारतीय सर्वधर्म संसद के राष्ट्रीय संयोजक सुशील जी महाराज, अहिंसा विश्व भारती के अध्यक्ष आचार्य लोकेश मुनि महाराज, रविदास समाज के प्रसिद्ध धर्मगुरु स्वामी वीर सिंह हितकारी महाराज, बौद्ध धर्मगुरु आचार्य यशी फुंत्सोक, पादरी मोरेश पारकर इत्यादि ने भाग लिया। इस अवसर पर सभी ने संयुक्त रूप से देश की वर्तमान स्थिति पर चिंता व्यक्त की और कहा कि आज की स्थिति में भारत की साझा संस्कृति की रक्षा करना सभी की जिम्मेदारी है। आज देश में नफरत फैलाने वाले शक्तियां सक्रिय हैं और शांतिप्रिय लोगों को दरकिनार किया जा रहा है। इसलिए एकजुट होकर यह दिखाना है कि जीत हमेशा शांति की हुई है।
इस अवसर पर अपने विशेष संबोधन में सर्वधर्म संसद के राष्ट्रीय संयोजक गोस्वामी सुशीलजी महाराज ने कहा कि आज भारत एक ऐसे मोड़ पर है जहां इस तरह के कार्यक्रमों की पहले से कहीं ज्यादा आवश्यकता है। आज लड़ाई हमारी साझा संस्कृति को बचाने की है। आजकल टीवी पर जो बहस हो रही है, उस पर सख्त नाराजगी व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि मीडिया ने समाज में जहर घोल दिया है जिससे देश में सांप्रदायिकता का माहौल खतरनाक स्तर तक पैदा हो गया है। लेकिन याद रखें कि जो देश को तोड़ना चाहते हैं वे कभी सफल नहीं होंगे। यह भारत सबका है और हमेशा सबका रहेगा। इस देश के लिए सभी ने कुर्बानी दी है, जिसकी प्रतीक सौ साल पुरानी जमीयत उलेमा-ए-हिंद है। इसलिए कोई किसी की राष्ट्रभक्ति पर सवाल नहीं उठा सकता। उन्होंने कहा कि हम सर्वधर्म संसद की ओर से जमीयत के इस अभियान का पूरी तरह से समर्थन करते हैं।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि यही भारत की आत्मा है जिसके कारण हम सब यहां एकत्रित हुए हैं। आज जो परिस्थितियां हैं, उसका नुकसान किसी एक समुदाय को नहीं बल्कि देश की होगा। एक तरफ हमारा सपना है कि भारत विश्व गुरु बने, दूसरी तरफ एक ऐसी शक्ति है जो भारत की विरासत और उसकी पहचान को लगातार खराब कर रही है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में अक्षम लोगों के बयानों को मुख्य हेडलाइन बनाया जाता है लेकिन जो दोस्ती और न्याय की बात करते हैं, उनको किनारे किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नफरत का जवाब नफरत से नहीं बल्कि प्यार से दिया जा सकता है। हालिया जो घटनाएं हुईं, उसमें घृणा का जवाब घृणा से देने का प्रयास किया गया जो काफी निराशाजनक है। न इस्लाम और न ही मानवता में इसका कोई स्थान है। मुझे बहुत खुशी हो रही है कि भारत की आत्मा और सभी धर्मों के गुरु यहां ऐसे कठिन समय में एकत्र हुए हैं। हम उनके आभारी हैं। हमें इस संदेश को आगे ले जाना है और उन लोगों तक पहुंचाना है जो गलतफहमी, भ्रम और घृणा के माहौल का शिकार हुए हैं, और जो इससे प्रभावित होकर नफरत फैलाने वालों के अगुवाकार बन गए हैं।
आचार्य लोकेश मुनि ने कहा कि धर्म जोड़ना सिखाता है, तोड़ना नहीं। मौलाना मदनी साहब देश को बनाने वाले इंजीनियर हैं। हम उनसे आशा करते हैं कि आज उन्होंने जो कार्यक्रम शुरू किया है, उसे देशभर में ले जाएंगे। अगला कार्यक्रम काशी, अयोध्या और अजमेर में हो और इस कार्यक्रम केवल खानापुरी के रूप में नहीं किया जाना चाहिए बल्कि यहां से जो संदेश जाए, वह हर घर तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि मतभेद जरूर हों लेकिन मनभेद नहीं होना चाहिए। उन्होंने सोशल मीडिया पर नफरत का कचरा डालने पर दुख व्यक्त किया और कहा कि इस कचरे साफ करने की बहुत आवश्यकता है।
रविदास समाज के प्रसिद्ध धर्मगुरु स्वामी वीर सिंह हितकारी महाराज ने कहा कि मनुष्य की मनुष्य से शत्रुता न हो, क्योंकि मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना। उन्होंने मौलाना मदनी साहब की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारत के निर्माण की जो नींव आज रखी गई है, उससे भारत में बराबरी के अधिकार की मांग करने वालों को प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने सत्तारूढ़ दल की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह देश हम सबका है, इसलिए किसी एक का नहीं हो सकता।
बौद्ध धर्मगुरु आचार्य यशी फुंत्सोक ने कहा कि सभी धर्मगुरु मिलकर धार्मिक घृणा को समाप्त कर सकते हैं। मानवता के सम्मान का दायरा व्यापक होना चाहिए। भारत में ही अधिकांश धर्म अस्तित्व में आए हैं, इसलिए हम सब एक हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि हमारी पहचान अलग-अलग है लेकिन यहां अनंत किसी को प्राप्त नहीं है। परलोक में केवल भलाई ही काम आएगी।
सरदार यूनाईटेड सिख के मनप्रीत सिंह जी ने कहा कि मीडिया को यह अधिकार नहीं है कि किसी भी व्यक्ति को बुलाकर धर्मगुरु के रूप में प्रस्तुत करे। उन्होंने गुरु नानक जी का वर्णन करते हुए कहा कि हम किसी धर्म के विरुद्ध नहीं बल्कि धर्म के नाम पर अत्याचार करने वालों के विरुद्ध हैं। सबसे महत्वपूर्ण धर्म है, आपसी प्यार है। आज हम सब जुड़े हैं, इससे अच्छा दिन कोई नहीं हो सकता।
पादरी मौरिस पारकरजी ने कहा कि जो धर्म के कारण सताए गए हैं, वे बधाई के पात्र हैं, क्योंकि उनको खुदा, बादशाहत का इनाम देगा। खुदा ने दुनिया बनाकर हमारे हाथों में दिया और कहा कि इसे चलाओ। इसलिए हमें दुनिया को चलाने की जरूरत है, लड़ने की जरूरत नहीं है। खुदा कभी भी गलत का साथ नहीं देता।
एसएमटीयू के प्रो वाइस चांसलर डॉ. आर विजय सर्वस्थी ने सभी धर्मों को सलाम करने के साथ अपने भाषण का आरंभ करते हुए कहा कि हमारे परिचय के लिए इतना ही काफी है कि मैं एक इंसान हूं। आज इस मंच पर एकता का दृष्य है। प्रेम ही सबसे बड़ी चीज है। इसलिए प्यार बांटना चाहिए। अहिंसा पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि सोच बदलो, देश बदलेगा।
कार्यक्रम के आरंभ में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने कहा कि मेरे दिल में इसका बहुत सम्मान है कि आपने बहुत ही कठिन समय में दिलों को जोड़ने का संकल्प लिया जो इतना आसान नहीं है। लेकिन कोई संकल्प पाने की आशा में नहीं लिया जाता बल्कि खुद को मिटाने की उम्मीद से लिया जाता है। हम सभी अपनी मातृभूमि, इस धरती और देश के लिए हर तरीके से खुद को मिटाने के लिए तैयार हैं और यही वह शक्ति है जो भारत को जोड़ती है। उन्होंने कहा कि सदियों से भारत की मिट्टी में साम्प्रदायिक एकता बसी हुई है। भारत में भांति-भांति की भाषाएं और बोलियां बोली जाती हैं। यहां रंग-बिरंगी सभ्यताएं हैं। विभिन्न जातियों और धर्म के अनुयायी हैं। इसी अनेकता में एकता छिपी हुई है। हमारे संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद का 100 साल का इतिहास है। इसकी शांति, एकता और सद्भावना की विचारधारा की बात करें तो यह 23 नवंबर, 1919 से ही राष्ट्रीय एकता और शांति एवं भाईचारे की समर्थक रही है। इसलिए स्वतंत्रता संग्राम में गांधीजी का साथ दिया और उनके कदम से कदम मिलाते हुए असाधारण कारनामे किए।
इन वक्ताओं के अलावा जमीयत उलेमा-ए-हिंद के सचिव मौलाना नियाज अहमद फारूकी, डॉ. सिंधिया जी, स्वामी विवेक मुनि जी, रमेश कुमार पासी, रिजवान मंसूरी, अल्पसंख्यक आयोग दिल्ली के चेयरमैन जाकिर खां, केके शर्मा, मुकेश जैन, रमेश शर्मा, रजनीश त्यागी राज, डॉ. संदीप जी, डॉ. सुरेश जी, नरेंद्र शर्मा जी, इशरत मामा, दबू अरोड़ा, मौलाना दाऊद अमीनी, प्रतीम सिंह जी, डॉ. भाटी जी, नरेंद्र तनेजा, अरुण गोस्वामी, डॉ. अख्तर, नरगिस खान, इब्राहीम खां, सुशील खन्ना इत्यादि ने भी अपने विचार व्यक्त किए या कार्यक्रम में भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन जमीयत सद्भावना मंच के संयोजक मौलाना जावेद सिद्दीकी कासमी ने किया।
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प्रिय संपादकगण
इस प्रेस बयान को प्रकाशित कर धन्यवाद का अवसर दें
नियाज अहमद फारूकी
सचिव, जमीयत उलेमा-ए-हिन्द

 

نئی دہلی : 6جولائی ۲۰۲۲ء :
جمعیۃ سدبھائونا منچ جمعیۃ علماء ہند کے زیر اہتمام آج مدنی ہال واقع صدردفتر جمعیۃ علماء ہند نئی دہلی میں’ سدبھائونا سمیلن ‘ کا ایک اہم اجلاس منعقد ہوا۔ اجلاس کی صدارت مولانا محمود مدنی صدر جمعیۃ علما ء ہند نے کی ۔ اس اجلاس میں خاص طور سے بھارتیہ سرو دھرم سنسد کے نیشنل کنوینر سوشیل جی مہارا ج، اہمسا وشو بھارتی کے صدر اچاریہ لوکیش منی،روی داس سماج کے مشہور مذہبی رہ نما سوامی ویر سنگھ ہتکاری مہاراج ،بودھ دھرم گرواچاریہ یشی پھون ٹوسک ، پادری موریش پارکر وغیرہ شریک ہوئے اور سبھوں نے مشترکہ طور سے ملک کی موجود ہ صو ر ت حال پر تشویش کا اظہار کیا اور کہا کہ آج کے حالات میں ہندستان کی مشترکہ تہذیب کی حفاظت سب کی ذمہ داری ہے، آج ملک میںنفرت پھیلانے والی طاقت سرگرم ہے اور امن پسندوں کو کنارہ لگایا جارہا ہے ، اس لیے یک جٹ ہو کر یہ دکھانا ہے کہ جیت ہمیشہ امن کی ہوئی ہے ۔

اس موقع پر اپنے خصوصی خطاب میں سرودھرم سنسد کے نیشنل کنوینر گوسوامی سشیل جی مہاراج نے کہا کہ آج بھارت ایک ایسے موڑ پر ہے جہاں اس طرح کے پروگرام کی پہلے سے کہیں زیادہ ضرورت ہے ۔آج کل ٹی وی پر جو بحث ہورہی ہے ، اس پر شدید غم و غصہ کا اظہار کرتے ہوئے کہا کہ میڈیا نے سماج میں زہر گھو ل دیا ہے ، جس سے دیش میں فرقہ پرستی کا ماحول خطرناک حد تک بڑھ گیا ہے ۔ لیکن یہ یاد رکھیں کہ جو لوگ دیش کو توڑنا چاہتے ہیں ، وہ کبھی کامیاب نہیں ہو ں گے ، یہ بھارت سب کا ہے اور ہمیشہ سب کا رہے گا ۔ اس ملک کے لیے سبھی نے قربانی دی ہے ،جس کی علامت سوسالہ جماعت جمعیۃ علماء ہند ہے ،اس لیے کوئی کسی کی راشٹریہ بھکتی سے سوال نہیں اٹھا سکتا۔انھوں نے کہ ہم سرودھرم سنسد کی طرف سے جمعیۃ کی ایک تحریک کی پرزور حمایت کرتے ہیں ۔

جمعیۃ علماء ہند کے صدر مولانا محمود مدنی نے اپنے صدارتی خطاب میں کہا کہ یہی بھارت کی آتما ہے جس کی وجہ ہم سب یہاں جمع ہو ئے ہیں۔ آج جو حالات ہیں ، اس کا نقصان کسی ایک کمیونٹی کو نہیں بلکہ دیش کو ہوگا ۔ ایک طرف ہمارا خواب یہ ہے کہ بھارت وشو گرو بنے ، دوسری طرف ایک طاقت ہے جو بھارت کی وراثت اور اس کی شناخت کو لگاتا ر خراب کررہی ہے ۔انھوں نے ہمارے ملک میں نااہلوں کے بیانات کو شہ سرخی بنائی جاتی ہے مگر جو انصاف اور دوستی کی بات کرتے ہیں ، ان کو کنارہ کیا جارہا ہے ۔ انھوں نے کہا کہ نفرت کا جواب نفرت سے نہیں بلکہ محبت سے دیا جاسکتا ہے،حال میں جو واقعات ہو ئے ، اس میں نفرت کا جواب نفرت کی دیے جانے کی کوشش کی گئی جو انتہائی افسوسناک ہے۔ نہ اسلام اور نہ انسانیت میں اس کی کوئی گنجائش ہے ۔مجھے بہت خوشی ہورہی ہے کہ ہندستان کی آتما اور سبھی مذہبوں کے رہ نما یہاں ایسے مشکل وقت میں جمع ہو ئے ہیں ، ہم ان کے شکر گزار ہیں ، ہمیں اس پیغام کو آگے لے جانا ہے اوران لوگوں تک پہنچناہے جو غلط فہمی اور نفرتی ماحول کے شکار ہوئے ہیں اور جو اس سے متاثر ہو کر نفرت پھیلانے والوں کے آلہ کار بن گئے ہیں ۔

اچاریہ لوکیش منی نے کہا کہ دھرم جوڑنا سکھاتا ہے ، توڑنا نہیں سکھاتا ۔ مولانا مدنی صاحب دیش کو بنانے والے انجینئر ہیں ۔ ہم ان سے یہ امید کرتے ہیں آج جو پروگرام انھوں نے شروع کیا ہے ، اسے ملک بھر میں لے جائیں ۔اگلا پروگرام کاشی ، ایودھیا اور اجمیر میں ہواور اس پروگرام کو صرف خانہ پری کے طور پر نہ کیا جائے بلکہ یہاں سے جو پیغام جائے وہ ہر گھر تک پہنچے ۔انھوں نے کہا کہ مت بھید ضرور ہو لیکن ، من بھید نہیں ہو نا چاہیے۔انھوں نے سوشل میڈیا پر نفرت کا کچڑا ڈالنے پر افسوس ظاہر کیا او رکہا کہ اس کچڑا کو صاف کرنے کی بڑی ضرورت ہے ۔

روی داس سماج کے مشہور مذہبی رہ نما سوا می ویر سنگھ ہتکاری مہاراج نے کہا کہ انسان کو انسان سے دشمنی نہ ہو ، کیوں کہ مذہب نہیں سیکھاتا آپس میں بیر رکھنا، انھوں نے مولانا مدنی صاحب کی تعریف کرتے ہوئے کہا کہ بھارت کی تعمیر کی بنیاد جو آج رکھی گئی ہے اس سے بھارت میں مساوی حقوق کا مطالبہ کرنے والوں کو حوصلہ ملے گا ۔انھوں نے زیر اقتدار پارٹی کی طرف اشارہ کرتے ہوئے کہا کہ یہ دیش ہم سب کا ہے ، اس
لیے کسی ایک کا نہیں ہو سکتا ۔

بودھ دھرم گرواچاریہ یشی پھون ٹوسک نے کہا کہ سبھی دھرم گرو مل کر مذہبی منافرت ختم کرسکتے ہیں ۔انسانیت کا احترام کا دائرہ وسیع ہو نا چاہیے، بھارت ہی میں زیادہ تر مذاہب کا وجود ہوا ہے، اس لیے ہم سب ایک ہیں ۔انھوں نے کہا کہ گرچہ ہماری پہچان الگ الگ ہے ، لیکن یہاں دوام کسی کو نہیں ہے ، آخرت میں صرف نیکی ہی کام آئے گی ۔
من پریت سنگھ جی صدر یونائیٹیڈ سکھ نے کہا کہ میڈیا کو یہ حق نہیں ہے کہ کسی بھی آدمی کو بلا کر دھرم گرو بناکر پیش کرے ۔انھوں نے گرو نانک جی کا حوالہ دیتے ہوئے کہا کہ ہم کسی دھرم کے خلاف نہیں بلکہ دھرم کے نام پر ظلم کرنے والوں کے خلاف ہیں ۔سب سے اہم دھرم آپسی پیار ہے۔ آج ہم سب جڑے ہیں ، اس سے ا چھا کوئی اور دن نہیں ہو سکتا ۔
پادری موریش پاکر جی نے کہا کہ جو راشٹریہ کی وجہ سے ستائے گئے ہیں ، وہ مبارکبادی کے مستحق ہیں ، کیوں کہ ان کو خدا ، بادشاہت کا انعام دے گا ۔ خدانے دنیا بناکر ہمارے ہاتھوں میں دیا او رکہا کہ اسے چلائو ، اس لیے ہمیں سنسار چلانے کی ضرورت ہے ، لڑنے کی ضرورت نہیں ہے ۔خدا کبھی بھی غلط کا ساتھ نہیں دیتا

ڈاکٹر آر وجیا سروستھی پرووائس چانسلر ایس ایم ٹی یو نے سبھی دھرموں کے سلام سے اپنی بات کا آغاز کرتے ہوئے کہا کہ ہمارے تعارف کے لیے یہ کہنا کافی ہے کہ میں انسان ہوں ، آج اس منچ پر وحدت کا منظر ہے ،محبت سب سے بڑی چیز ہے ، اس لیے پیار بانٹنا چاہیے۔انھوں نے عدم تشد د پر زور دیتے ہوئے کہا کہ سوچ بدلو دیش بدلے گا ۔

پروگرام کے آغاز میں جمعیۃ علما ء ہند کے جنرل سکریٹری مولانا حکیم الدین قاسمی نے کہا کہ میرے دل میں اس کی بہت قدر ہے کہ آپ نے بہت ہی کٹھن وقت میں دلوں کو جوڑنے کا سنکلپ لیا ہے ،جو اتناآسان نہیں ہے۔ لیکن کوئی سنکلپ، پانے کی امید سے نہیں لیا جاتا بلکہ خود کو مٹانے کی امید سے لیا جاتا ہے۔ ہم سب اپنی ماتر بھومی ، اس دھرتی اور وطن کے لیے ہر طرح سے خود کو مٹنے کے لیے تیار ہیں اور یہی وہ طاقت ہے جو بھارت کو جوڑتی ہے۔انھوں نے کہا کہ صدیوں سے بھارت کی مٹی میں سمپردائیک ایکتا بسی ہوئی ہے۔ بھارت میں بھانتی بھانتی ٹائپ کی بھاشا اور بولیاں بولی جاتی ہیں۔ یہاں رنگ برنگی تہذیبیں ہیں۔ الگ الگ ذات اور دھرم کے ماننے والے لوگ ہیں؛ اسی انیکتا میں ایکتا چھپی ہوئی ہے۔ ہماری تنظیم جمعیۃ علماء ہند سو سال کی تاریخ رکھتی ہے۔اس کے امن و ایکتا اور سدبھائونا کے نظریے کی بات کریں، تو 23 نومبر 1919 سے ہی قومی یک جہتی اور امن و ایکتا کی حامی رہی ہے۔ چنانچہ آزادی کی لڑائی میں گاندھی جی کا ساتھ دیا اور ان کے قدم سے قدم ملاتے ہوئے غیر معمولی کارنامہ انجام دیا۔

ان مقررین کے علاوہ جمعیۃ علماء ہند کے سکریٹری مولانا نیاز احمد فاروقی ، ڈاکٹر سندھیاجی،سوامی وویک منی جی ،رمیش کمار پاسی ، رضوان منصوری، ذاکر خاں چیئرمین اقلیتی کمیشن دہلی، کے کے شرما ، مکیش جین،رمیش شرما ، رجنیش تیاگی راج، ڈاکٹر سندیب جی، ڈاکٹر سریش جی، نریندر شرمای جی،عشرت ماما ، دبو ارورا ، مولانا دائود امینی ، پرتیم سنگھ جی ،ڈاکٹر بھٹی جی ، نریندر تنیجا، ارون گوسوامی، ڈاکٹر اختر،نرگس خاں، ابراہیم خاں، سشیل کھنا ، وغیرہ نے بھی اپنے خیالات کا اظہار کیا یا پروگرام میں شریک ہوئے، پروگرام کی نظامت کے فرائض جمعیۃ سدبھائو نا منچ کے کنوینر مولانا جاوید صدیقی قاسمی نے انجام دیے۔