सौ से अधिक शहरों में एक साथ सद्भावना संसद आयोजित
- देश से साम्प्रदायिकता और धार्मिक घृणा को मिटाने के लिए सभी वर्गों की एकता जरूरी : मौलाना महमूद असद मदनी
- कांचीपुर मठ के शंकराचार्य जगद्गुरु विजेंद्र सरस्वती ने अपने प्रतिनिधि संदेश में कहा- मुसलमान भी इसी भारत की संतान
- विभिन्न शहरों में मठों और मंदिरों से जुड़े हुए पांच सौ हिंदू धर्मगुरुओं ने भाग लिया और अपने संबोधन में घृणा के जवाब में प्रेम का संदेश दिया
नई दिल्ली, 28 अगस्त। धार्मिक घृणा और साम्प्रदायिकता को देश की धरती से मिटाने और भारतीयता एवं मानवता की भावना की जीत के लिए आज जमीयत उलेमा-ए-हिंद की विभिन्न इकाईयों की ओर से देश के एक सौ से अधिक से शहरों में “सद्भावना संसद” का आयोजन किया गया। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने इसका नेतृत्व किया।
इस अवसर पर देश के लगभग सभी बड़े शहरों दिल्ली, चेन्नई, पुणे, नागपुर, औरंगाबाद, बेंगलूरु, निजामाबाद, आदिलाबाद, लखनऊ, भोपाल, खरगौन, रांची, दरंग करीमगंज (असम), बिशनपुर मणिपुर, गोवा, भितबारी मेघालय, मेवात, यमुनानगर, किशनगंज, मोहाली आदि में आयोजित होने वाली सद्भावना संसदों में सभी धर्मों के गुरुओं ने भाग लिया और संयुक्त रूप से राष्ट्रीय एकता और शांति का संदेश दिया। इस अवसर पर सभा स्थलों पर ’मानवता का राज होगा, पूरा भारत साथ होगा’, ‘नफरत मिटाओ, देश बचाओ’, ‘नफरत के पुजारी भारत छोड़ो’, ‘हिंसावादीः देश के दुश्मन’ और ‘न तीर से न तलवार से, देश चलेगा प्यार से’ जैसे नारों के पोस्टर और बैनर लगाए गए।
इस अवसर पर अपने विशेष संदेश में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि भारत हमारी मातृभूमि है, इसके कण-कण से हमें स्वाभाविक प्रेम है। इस देश की सबसे बड़ी विशेषता अनेकता में एकता है। यहां सदियों से विभिन्न सभ्यताओं और धर्मों के लोग मिलजुल कर रहते आए हैं। अंग्रेज जैसी दमनकारी सरकार भी हमारी इस विशेष पहचान को पूरी तरह से खत्म करने में विफल रही। उन्होंने कहा कि इन दिनों कुछ शक्तियां इस देश की पहचान को मिटाना चाहती हैं, लेकिन उनकी ताकत कितनी भी बड़ी हो, वह भारत की महान शक्ति और इसकी सदियों की परंपरा को पराजित नहीं कर सकते। इस मिट्टी की ताकत का आभास कराने के लिए हमने ऐसी संसदों का आयोजन किया है। आज हम सौ जगहों पर सद्भावना संसद का अयोजन कर रहे हैं। कल हम इससे अधिक स्थानों पर इसका आयोजन करेंगे। हमारा यह काफिला दिलों को जोड़ने का काम करेगा और उन नफरतों को मिटाने का काम करेगा जो मुट्ठीभर असामाजिक तत्वों ने दिलों में बोने की कोशिश की है।
इस अवसर पर चेन्नई के न्यू कॉलेज कैंपस में आयोजित सद्भावना संसद में कांचीपुरम मठ के शंकराचार्य के प्रतिनिधि विश्वानंद ने अपने जगद्गुरु विजेन्द्र सरस्वती की ओर से भेजे गए संदेश में कहा कि भारत में सभी धर्मों के लोग हाथ की पांच उंगलियों की तरह हैं और वह इसी प्रकार रहेंगे। उन्होंने कहा कि एकता, संकल्प और प्रार्थना, तीन ऐसे मंत्र हैं जो इस महान धरती और इसकी संतानों के लिए होते हैं, और निस्संदेह मुसलमान भी इसी भारत की संतान हैं। इसी सभा को संबोधित करते हुए जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने कहा कि यह कार्यक्रम किसी जमीयत या दल का नहीं बल्कि देश से प्यार करने वाले लोगों की एक संयुक्त सभा है। उन्होंने जमीयत उलेमा-ए-हिंद की संयुक्त राष्ट्रवाद की विचारधारा को आधार बताया और कहा कि भारत से मुसलमानों का सम्बंध सबसे पुराना है।
उनके अलावा चेन्नई में सिख गुरु हरप्रथ सिंह, ईसाई पादरी सांतोम चर्च यसरी सरगोनम, रांची में होफमैन के निदेशक महेंद्र प्रताप सिंह, बेंगलूरु में दलित नेता भास्कर प्रसाद, दलित ईसाई नेता मनोहर चंद्र प्रसाद बंगलूरु, सुरजीत सिंह इंफाल, भंते सरपीत साहिब अमरावती, श्री श्री स्वामी दुजेंद्रानंद रामकृष्ण मिशन आश्रम, मालदा, दयाराम नामदेव जी भोपाल, फादर स्टीफन मरिया जी, प्रोफेसर मनोज जैन जी, फादर बोल मैक्स पेरिया गोवा, महंत मधुगिरी, गुरु वासु देवगिरी मुक्तेश्वर मंदिर समेत पांच सौ हिंदू धर्म गुरुओं ने अलग-अलग संसदों में हिस्सा लिया और उसे संबोधित किया।
उनके अलावा जमीयत उलेमा-ए-हिंद के जिन लोगों ने अपने-अपने क्षेत्रों में नेतृत्व किया, उनमें विशेष रूप से मौलाना हाफिज पीर शब्बीर अहमद हैदराबाद, मौलाना हाफिज पीर खलीक साबिर हैदराबाद, मौलाना नदीम सिद्दीकी महाराष्ट्र, मौलाना अब्दुर्रब आजमी उत्तर प्रदेश, सैयद हुसैन लखनऊ, मौलाना हाफिज बशीर अहमद असम, मौलाना जावेद किशनगंजी बिहार, मौलाना खालिद अनवर किशनगंजी, हाजी मोहम्मद हारून मध्य प्रदेश, मौलाना इब्राहीम केरल, हाजी मोहम्मद हसन तमिलनाडु, मौलाना अली हसन मजहरी यमुनानगर, मौलाना अनवार मेघालय, मौलाना मंजूर
Jamiat Holds Sadbhavna Sansads in more than one hundred cities across the country.
Nation must unite to end sectarianism and religious hatred in the country: Maulana Mahmood Madani
Shankara Vijayendra Saraswathi of Kanchipuram Mutt said in his message that Muslims are also the son of the soil of this country.
Almost five hundred Hindu religious leaders from different cities participated and conveyed a message of love and unity
New Delhi, August 28, 2022:- In order to eliminate religious hatred and sectarianism from the country and for the victory of the spirit of Indianness and humanity, various units of Jamiat Ulama-i-Hind today organised SAdbhawna Sansads in more than one hundred cities all across the country including Bhopal, Khargone, Ranchi, Darrang Karimganj(Assam), Manipur, Goa, Meghalaya, Mewat, Yamuna Nagar, Kishanganj, Mohali, etc. They unequivocally gave the message of national unity and peace. On this occasion some slogans Manovta Ka Raj Hoga", "Pura Bharat Saath Hoga". , nafrtat hatao desh bachao, nafrat ke pujari bharat chodo, hinsawadi desh ke dushman haen, na teer se na talwar se desh chalega peyaar se’ were displayed at the meeting places.
In his special message on the occasion Maulana Mahmood Madani, President of Jamiat Ulama-i-Hind said that India is our homeland, we love it from our soul, the biggest feature of this country is unity in diversity and different civilizations and people of different religions have been living here for centuries. Even the oppressive government like the British failed to eliminate this distinction. He said that these days some powers want to erase the diversity of this country. But no matter how powerful they are, they cannot defeat our centuries-old unity.
To demonstrate the power of this soil, we have been organizing such sansads. Today we are doing sansads in hundred places, tomorrow we will hold it in more places. Our efforts to unite the hearts and minds of Indians will continue.
In his message, the Jagadguru Vijayendra Saraswati through his representative said that people of all religions in India are like the five fingers of a hand and will remain so in the future too. He said that unity, sankalp and prayers are three such mantras that are for the sons of this great earth and race. And undoubtedly Muslims are also the sons of India. Addressing the same meeting, Maulana Hakeemuddin Qasmi, General Secretary of Jamiat Ulama-i-Hind said that this program is not of any particular congregation or group, but a joint gathering of all those people who love the country. He explained the concept of a united nationalism of Jamiat Ulama-i-Hind is the basis and also said that our association with India is from the oldest time.
Apart from them Sikh leader, Harpath Singh, Christian Pastor Santom Church Yesri Sargunam in Chennai, Mahendra Pratap Singh Director Hoffman in Ranchi, Shri Bhaskar Prasad in Bangalore, Shri Manohar Chandra Prasad of Dalit Christian Leader Bangalore, Shri Surjeet Singh Imphal, Bhante Sarpet Sahib Amravati, Sri Sri Swami Dujendrananda Maharaj Ramakrishna Mission Ashram, Malda, Sri Dayaram Naam Devji Bhopal, Father Stephen Mariaji, Professor Manoj Jain ji, F. Max Periya Goa, Mahant Madhugiri, Guru Vasu Devgiri Mukteshwar Mandir Palanpur, and five hundred Hindu religious from across the country participated in the Sadhbhavna Sansad. These leaders participated in separate Sansads and addressed the participants. Apart from them, the leaders of Jamiat Ulama Hind who led the programme in their respective areas are like: Maulana Hafiz Pir Shabbir Ahmed Hyderabad, Maulana Hafiz Pir Khaliq Sabir Hyderabad, Maulana Nadeem Siddiqui. Maharashtra, Maulana Abdul Rab Azmi UP, Syed Hussain Lucknow, Maulana Hafiz Bashir Ahmed Assam, Maulana Javed Kishanganj Bihar, Maulana Khalid Anwar Kishanganj, Haji Muhammad Haroon Madhya Pradesh, Maulana Ibrahim Kerala, Haji Muhammad Hassan Tamil Nadu, Maulana Ali Hassan Mazaheri Yamuna Nagar, Maulana Anwar Meghalaya, Maulana Manz Alam Meghalaya, Maulana Saeed Ahmad Manipur, Maulana Mufti Abdul Momin Tripura, Dr. Asghar Ali Misbahi Ranchi, Maulana Abdul Quddous Palanpur, Maulana Abdul Sami Goa, Maulana Siddiqullah Chaudhary West Bengal, Maulana Abdul Quddus Palanpur, Maulana Dawood Amini Delhi, Maulana Iftikhar Rao, Mulana Shamsuddin Sahib Bangalore. A program in Delhi was addressed by the convener of Jamiat Ulama Sadbhavna Manch, Maulana Javed Siddiqui Qasmi etc.
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Dear Editor
Kindly publish it and oblige
Niaz Ahmad Farooqi
Secretary, Jamiat Ulama-i-Hind
سو سے زائد شہروں میں ا یک ساتھ سدبھائونا سنسد منعقد
ملک میں فرقہ پرستی و مذہبی منافرت کے خاتمے کے لیے سبھی طبقات کا اتحاد ضروری : مولانا محمود اسعد مدنی
کانچی پور مٹھ کے شنکر اچاریہ جگد گرو وجیندرا سرسوتی نے اپنے نمائندہ پیغام میں کہا کہ مسلمان بھی اسی بھارت کے اہم سنتان ہیں ۔ الگ الگ شہروں میں مٹھو ں اور مندروں سے جڑے ہوئے پانچ سو ہندو مذہبی رہ نمائوں نے شرکت کی اور اپنے خطاب میں نفرت کے جواب میں محبت کا پیغام دیا ۔
نئی دہلی۲۸؍ اگست:مذہبی منافرت اور فرقہ پرستی کو ملک کی سرزمین سے ختم کرنے اور ہندستانیت اور انسانیت کے جذبے کی فتح کے لیے آج جمعیۃ علماء ہند کی مختلف یونٹوں کی جانب سے ملک کے ایک سو سے ز ائد شہروں میں’’ سدبھائونا سنسد ‘‘کا انعقاد عمل میں آیا،جس کی سرپرستی صدر جمعیۃ علماء ہند مولانا محمود اسعد مدنی نے کی ۔اس موقع پر ملک کے بڑے شہروں :دہلی ، چینئی ، پونے ، ناگ پور، اورنگ آباد، بنگلور، نظام آباد، عادل آباد ، لکھنو، بھوپال، کھرگون، رانچی ، درانگ کریم گنج( آسام)،بشن پور منی پور، گوا بھیتاباری میگھالیہ ،میوات، یمنا نگر، کشن گنج، موہالی وغیرہ میں منعقد ہونے والے سدبھائونا سنسدوں میں سبھی مذاہب کے رہ نمائوں نے شرکت کی اور مشترکہ طور پر قومی یک جہتی اور امن کا پیغام دیا ۔اس موقع پر جلسہ گاہوں پر کچھ نعرے اس طرح سے نصب کیے گئے تھے کہ :’مانوتا کا راج ہو گا‘، ’پورا بھارت ساتھ ہوگا ‘۔’نفرت مٹائو‘ ،’ دیش بچائو‘ ،’،‘’نفرت کے پجاری بھارت چھوڑو‘ ،’ہنساوادی: دیش کے دشمن‘ ،’نہ تیر سے نہ تلوار سے ، دیش چلے گا پیار سے‘ ۔
اس موقع پر اپنے خصوصی پیغام میں صدر جمعیۃ علماء ہند مولانا محمود مدنی نے کہا کہ ہندستان ہمار ا وطن ہے، اس کے چپہ چپہ سے ہمیں فطری محبت ہے ،اس ملک کی سب سے بڑی پہچان کثرت میں وحدت ہے،یہاں صدیوں سے مختلف تہذیبوں اور مذاہب کے لوگ مل جل کر رہتے آئے ہیں ،انگریز جیسی جابر حکومت بھی ہمارے اس امتیاز کو پوری طرح ختم کرنے میں ناکام رہی ۔انھوں نے کہا کہ ان دنوں کچھ طاقتیں ملک کی اس شناخت کو ملیا میٹ کرنا چاہتی ہیں،لیکن ان کی طاقت کتنی ہی بڑی ہو، وہ بھارت کی عظیم طاقت اور اس کی صدیوں کی روایت کو شکست نہیں دے سکتیں۔ اس مٹی کی طاقت کو احساس دلانے کے لیے ہی ہم نے ایسے سنسدوں کا اہتمام کیا ہے ، آج ہم سو جگہوں پر سدبھائونا سنسدکررہے ہیں ، کل ہم اس سے زیادہ جگہوں پر کریں گے ۔ہمارا یہ قافلہ دلوں کو جوڑنے کا کام کرے گااوران نفرتوںکے ازالے کا تریاق بنے گا جو مٹھی بھر شرپسندوں نے دلوں میں بونے کی کوشش کی ہے ۔
چنئی کے نیو کالج کیمپس میں کانچی پورم مٹھ کے شنکر اچاریہ کے نمائندہ وسوانند نے اپنے جگد گرو وجیندرا سرسوتی کی طرف سے پیغام میں کہا کہ بھارت کے سبھی مذاہب کے لوگ ہاتھ کی پانچ انگلیوں کی طرح ہیں اور وہ اس طرح رہیں گے ۔انھوں نے کہا کہ اتحاد، سنکلپ اور دعاء یہ تین ایسے منتر ہیں جواس عظیم دھرتی او راس کے سنتانوں کے لیے ہوتے ہیں ، اور بلاشبہ مسلمان بھی اسی بھارت کی سنتان ہیں ۔اسی جلسے سے خطاب کرتے ہوئے مولانا حکیم الدین قاسمی جنرل سکریٹری جمعیۃعلماء ہند نے کہا کہ یہ پروگرام کسی جمعیۃ یا جماعت کا نہیں ہے بلکہ وطن سے محبت کرنے والے لوگوں کا مشترکہ اجتماع ہے ۔ انھوں نے جمعیۃ علماء ہند کے متحدہ قومیت کے تصور کو اساس بتایا اور کہا کہ ہندستان سے مسلمانو ں کار شتہ سب سے پرانا ہے۔
ان کے علاوہ چنئی میں سکھ رہ نماہرپرتھ سنگھ چنئی، عیسائی پادری سانتوم چرچ یسری سرگونم، رانچی میں مہندر پرتاپ سنگھ ڈائریکٹر ہوف مین ، لکھنو میں مولانا خالد رشید فرنگی محلی، بھنتے گیان لوک بودھا ، ہردیپ سنگھ جگی،ڈاکٹر جگدیش گاندھی، بنگلور میں شری بھاسکر پرساد دل لیڈر، شری منوہر چندر پرساد دلت کرشچن لیڈر بنگلور ،شری سرجیت سنگھ امپھال ،بھنتے سرپیت صاحب امراوتی،شری شری سوامی دوجیندرانند مہاراج راماکرشنا مشن آشرم، مالدہ ، شری دیارام نام دیوجی بھوپال ،فادر اسٹیفن مریہ جی ،پروفیسر منوج جین جی،فادربول میکس پیریا گوا، مہنت مدھوگیری،گورو واسو دیوگیری مکتیشور مندر پالن پور، سوامی سردھانند مہاراج آریہ سماج میوات، سمیت پانچ سو ہندو مذہبی رہ نمائوں نے الگ الگ سنسدوں میں شرکت کی اور خطاب کیا۔ان کے علاوہ جمعیۃ علماء ہند کے جن رہ نمائوں نے اپنے اپنے علاقوںمیں قیادت کی ان میں خاص طور سے مولانا حافظ پیر شبیر احمدحیدرآباد،مولانا حافظ پیر خلیق صابرحیدر آباد، مولانا ندیم صدیقی مہاراشٹرا،مولانا عبدالرب اعظمی یوپی ، سید حسین لکھنو،مولانا محمد مدنی، مولانا حافظ بشیر احمد آسام، مولانا جاوید کشن گنجی بہار، مولانا خالد انور کشن گنجی ،حاجی محمد ہارون مدھیہ پردیش، مولانا ابراہیم کیرالہ، حاجی محمد حسن تامل ناڈو،مولانا علی حسن مظاہری یمنا نگر،مولانا انوار میگھیالیہ،مولانا منظور عالم میگھیالیہ ،مولانا سعید احمد منی پور،مولانا مفتی عبدالمومن تری پورہ،ڈاکٹر اصغر علی مصباحی رانچی، مولانا عبدالقدوس پالن پور، مولانا عبدالسمیع گوا،مولانا صدیق اللہ چودھری مغربی بنگال ، مولانا عبدالسلام قاسمی بنگال ،مولانا عبدالقدوس پالن پور، مولانا دائود امینی دہلی ، مولانا افتخاراو رمولانا شمس الدین صاحب بنگلور کے نام شامل ہیں، دہلی کے ایک پروگرام میں جمعیۃ علماء سدبھائونا منچ کے کنوینرمولانا جاوید صدیقی قاسمی نے خطاب کیا۔
مدیر محترم !اس پریس ریلیز کو شائع فرماکر شکرگزارکریں۔
جاری کردہ
نیاز احمد فاروقی ، سکریٹری جمعیۃ علما ء ہند