जमीयत उलेमा-ए-हिंद के 34वें महा अधिवेशन से संबंधित दिल्ली और लोनी की मस्जिदों के इमामों की बैठक
- जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी का विशेष संबोधन
नई दिल्ली, 11 जनवरी, 2023। जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के 34वें महा अधिवेशन की तैयारियों के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें इसके उद्देश्यों, लक्ष्य, परिदृश्य और परिवेश पर जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला। बैठक में दिल्ली और लोनी क्षेत्र के तीन सौ मस्जिद के इमामों और जमीयत से जुड़े जिम्मेदारों ने भाग लिया।
इस अवसर पर मौलाना महमूद असद मदनी ने अपने विशेष संबोधन में कहा कि देश और मुसलमानों के समक्ष हमेशा ऐसी समस्याएं रही हैं जिन पर सामूहिक विचार-विमर्श की आवश्यकता होती है ताकि एक मजबूत और ठोस कार्य योजना निर्धारित कर उस पर आगे बढ़ा जा सके। वर्तमान समय में मुसलमानों के सामने कई चुनौतियां हैं, जिनका सूझबूझ के साथ समाधान खोजना जरूरी है। लेकिन निराश होने और अत्याधिक चिंतित होने की कतई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि कुछ विशेष तत्व हमें निराश करना चाहते हैं, लेकिन हम किसी भी कीमत पर निराश नहीं होने वाले हैं और न झुकने वाले हैं। हमें अपने अंदर आत्मविश्वास और साहस पैदा करना है और हर तरह से दृढ़ संकल्प रहना है। उन्होंने कहा कि हकीकत तो यह है कि हमारी लड़ाई अपनी कमजोरियों से है, जब हम अपनी कमजोरियों पर काबू पा लेंगे, तो हमें सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। मौलाना मदनी ने आगे कहा कि दुख की रात लंबी अवश्य है, लेकिन यह समाप्त होने वाली है, क्योंकि स्थाई अधिकार और शक्ति केवल अल्लाह को प्राप्त है।
उन्होंने कहा कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद अपने इतिहास और परंपरा के अनुसार नई दिल्ली के रामलीला मैदान में 10, 11, 12 फरवरी को महा अधिवेशन का आयोजन करने जा रही है। संवैधानिक समितियों के सत्र के बाद सार्वजनिक आम सभा रविवार, 12 फरवरी को सुबह 9ः00 बजे से आरंभ होगी। यह अधिवेशन हमारी गतिविधियों का सिर्फ एक हिस्सा है जहां हम मिलकर निर्णय करते हैं और आगे बढ़ते हैं। इसलिए अधिवेशन के बाद हमारे संघर्ष में और तेजी आएगी।
मौलाना मदनी ने इस अवसर पर इमामों को विशेष रूप से संबोधित किया। उन्होंने कहा कि वही व्यक्ति सामूहिक उत्तरदायित्वों का निर्वहन कर सकता है जो व्यक्तिगत जिम्मेदारियों को पूरा करने में सक्षम हो। अर्थात वह मजबूत, स्थिर, स्वस्थ, दृढ़ निश्चयी और बलिदान देने के लिए तैयार हो। साथ ही निरंतर संघर्ष के लिए प्रतिबद्ध हो। हमारी मस्जिदों जो इमाम इन विशेषताओं और कौशल से मालामाल हैं, वह अपने क्षेत्र के सेवक और मार्गदर्शक हैं। और जहां ऐसा नहीं है, वहां एक बड़ी खाई पैदा हो गई है। मौलाना मदनी ने इमामों से अपील की कि नई पीढ़ी को धर्म की बुनियादी शिक्षा से जोड़ने के उद्देश्य से स्कूलों की स्थापना जरूर करें। मौलाना मदनी ने कहा कि हमारे सामने दो समस्याएं हैं, एक किसी भी निर्दोष मुसलमान की हत्या होना है और दूसरा धर्मत्याग है। इसमें ज्यादा बड़ी चुनौती धर्मत्याग है क्योंकि यह एक सामूहिक मामला है। इसलिए इसको रोकने के लिए धार्मिक शिक्षा का प्रचार-प्रसार अति आवश्यक है। मोहल्ले की आवश्यकताओं में सबसे बड़ी आवश्यकता बच्चों की शिक्षा और प्रशिक्षण का पूरा होना है। अगर आप मोहल्ले के बच्चों की शिक्षा और प्रशिक्षण के प्रति चिंतित हो गए तो आप उनके सबसे बड़े हितैषी बन जाएंगे। इसी तरह आधुनिक शिक्षा के लिए ट्यूशन की भी व्यवस्था कर सकते हैं।
मौलाना मदनी ने इमामों से अपील की कि वह पर्यावरण को भी अपना कर्म क्षेत्र बनाएं। विशेषकर वृक्षारोपण और जल संरक्षण पर काम करें। उन्हांने इस संदर्थ में चेन्नई का उल्लेख किया कि वहां कुछ दिन पूर्व राशन के हिसाब से पानी बांटा जाता था, दिल्ली में भी ऐसी ही परिस्थितियों के उत्पन्न होने का खतरा है।
मौलाना मदनी ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद की कुछ सेवाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जमीयत लंबे समय से संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए मुकदमे लड़ रही है। इसके अलावा कानून लागू करने वाली संस्थाओं द्वारा फंसाए जाने वालों का मुकदमा लड़ती है जिसमें आतंकवाद जैसे मुकदमे शामिल हैं। यह साहस केवल जमीयत उलेमा-ए-हिंद को प्राप्त है। तीसरा महत्वपूर्ण कार्य यह है कि यदि किसी मुसलमान को मुसलमान होने के कारण अत्याचार का सामना करना पड़ता है, तो जमीयत उलेमा-ए-हिंद उन प्रताडित लोगों को न्याय दिलाती है।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने अपने संबोधन में कहा कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद सभी आंदोलनों की संरक्षक संस्था है। इसलिए इस संगठन को मजबूत करना खुद को मजबूत करने जैसा है। उन्होंने नेशनल जंबूरी में जमीयत यूथ क्लब की उपलब्धियों का विशेष रूप से उल्लेख किया। उन्होंने इमामों से महा अधिवेशन को सफल के लिए सहयोग देने की अपील की जिसपर इमामों ने अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की और अपनी सेवाएं देने का भरोसा दिलाया। इस संबंध में अधिवेशन की तैयारियों के लिए कई समितियों का गठन किया गया।
इससे पूर्व जमीयत उलेमा-ए-हिंद की विभिन्न सेवाओं पर पावर प्वाइंट के माध्यम से प्रस्तुतियां दी गईं। पर्यावरणविद् सादिया सोहेल ने पर्यावरण पर जूम के माध्यम से प्रस्तुति दी। इस विषय पर ओवैस सुल्तान खान ने जानकारी दी। अन्य महत्वपूर्ण प्रतिभागियों में मौलाना दाऊद अमीनी, मौलाना इस्लामुद्दीन कासमी, कारी अब्दुस्समी, मौलाना फारूक मजहरूल्लाह, मौलाना मोहिबुल्लाह कासमी, मौलाना अखलाक कासमी मुस्तफाबाद, मुफ्ती जकावत हुसैन, हाजी मोहम्मद यूसुफ, मुफ्ती हिसामुद्दीन, जमात तब्लीग के सदस्य हाजी मोहम्मद आजाद, दाऊद भाई शिवविहार, मौलाना अब्दुस्सुबहान कासमी, हाजी नसीमुद्दीन, मौलाना जाहिद, हाजी असद मियां, मौलाना शमीम कासमी जाकिर नगर, कारी रबीउल हसन, कारी आशिक, मुफ्ती खुबैब, मौलाना अब्दुल करीम, मौलाना इरशाद, मुफ्ती अफसर, मौलाना वलीउल्लाह, सुंदर नगरी मौलाना युसूफ, मास्टर निसार अहमद, मुफ्ती हिफ्जुर्रहमान, मौलाना अब्दुल बासित, मौलाना फुरकान समयपुर बादली, मौलाना मोहम्मद, मौलाना यूसुफ वजीराबाद, लोनी से कारी मोहम्मद नवाब, मुफ्ती हसन, कारी इरफान, मौलाना जनाबुद्दीन, मौलाना नाजिम अशरफ कासमी, मुफ्ती खलील, मौलाना आसिफ महमूद, कारी ऐहरार, मौलाना रिजवान कासमी, कारी इरशाद बवाना, मौलाना अरशद नदवी आदि शामिल रहे। बैठक की शुरूआत कारी मोहम्मद फारूक की तिलावत से हुआ जबकि नात मौलाना हारिस ने पेश की।
.............. ............
प्रिय संपादकगण, इस प्रेस विज्ञपित को प्रकाशित कर धन्यवाद का अवसर प्रदान करें
नियाज अहमद फारूकी
सचिव, जमीयत उलेमा-ए-हिंद
جمعیۃ علماء ہند کا چونتیسواں اجلاس عام سے متعلق دہلی ولونی کے ائمہ مساجد کی میٹنگ
صدر جمعیۃ علماء ہند مولانا محمود اسعد مدنی کا خصوصی خطاب
۱۱؍جنوری۲۰۲۳ء : جمعیۃ علماء ہند کے چونتیسویں اجلاس عام کی تیاریوں کے سلسلے میں ایک اہم میٹنگ ہوئی جس میں اجلاس کے اغراض ومقاصد اور منظر، پس منظر پر صدر جمعیۃ علماء ہند مولانا محمود اسعد مدنی نے تفصیل سے روشنی ڈالی، اس میں دہلی اور لونی حلقہ کے تین سو ائمہ مساجد اور جمعیۃ سے وابستہ ذمے دار حضرات نے شرکت کی۔
اس موقع پرمولانا محمود اسعد مدنی نے اپنے خاص خطاب میں کہا کہ ملک وملت کے سامنے ہمیشہ ایسے مسائل رہے ہیں جن پر اجتماعی غور و فکر کی ضرورت ہوتی ہے تاکہ ایک مستحکم او رپائیدار لائحہ عمل طے کر کے آگے بڑھا جائے ۔ موجودہ وقت میں ملت کے سامنے بہت سارے چیلنجز ہیں ، جن کا ہوش مندی سے حل نکالنا ضروری ہے ، لیکن مایوس ہونے اور بہت زیادہ فکر مندہونے کی چنداں ضرورت نہیں ہے ۔انھوں نے کہا کہ چند مخصوص عناصر ہمیں مایوس کرنا چاہتے ہیں ، لیکن ہم ہرگز مایوس نہیں ہونے والے ہیںاور نہ جھکنے والے ہیں ، ہمیں خود کے اندر اعتماد اور حوصلہ پیدا کرنا ہے او رہر طرح سے پرعزم رہنا ہے ۔ انھوں نے کہا کہ حقیقت تو یہ ہے کہ ہماری لڑائی خود اپنی کمزوریوں سے ہے ، جب ہم اپنی کمزوریوں پر غالب آجائیں گے تو ہمیں کامیاب ہونے سے کوئی نہیں روک سکتا۔مولانا مدنی نے آگے کہا کہ غم کی رات طویل ضرور ہے ، مگر ختم ہونے والی ہے ، کیوں کہ دائمی اختیار اور طاقت صرف اللہ تعالی کو حاصل ہے۔
انھوں نے بتایا کہ جمعیۃ علماء ہند اپنی تاریخ اور روایات کے مطابق ۱۰، ۱۱، ۱۲، فروری کو رام لیلا میدان نئی دہلی میں اجلاس عام کررہی ہے۔ آئینی کمیٹیوں کے اجلاس کے بعد کھلا اجلاس عام ۱۲؍فروری بروز اتوار صبح نو بجے سے شروع ہوگا۔یہ اجلاس ہماری سرگرمیوں کا صرف ایک حصہ ہے جہاں ہم مل کر فیصلہ کرتے ہیں اور آگے بڑھتے ہیں، اس لیے اجلاس کے بعد ہماری جد وجہد میں مزید تیزی آئے گی ۔
مولانا مدنی نے اس موقع پر ائمہ کرام سے خاص طور سے مخاطب ہوئے۔ انھوں نے کہا کہ وہی شخص اجتماعی ذمہ داریوں کو ادا کرسکتا ہے جو انفرادی ذمہ داری اداکرنے کا اہل ہو ، یعنی مضبوط ، مستحکم ، صحت مند ، الوالعزم اور قربانی دینے کے لیے تیار ہو ، نیز جہد مسلسل کا عازم ہو ۔ہماری مساجد کے جو ائمہ کرام ان خوبیوں اورکمالات سے متصف ہیں تو اپنے علاقے کے خادم اور رہ نما ہیں اورجہاں ایسا نہیں ہے وہاں بڑا خلا پیدا ہوا ہے ۔مولانامدنی نے ائمہ کرام سے اپیل کی کہ نئی نسل کو دین کی بنیادی تعلیم سے وابستہ کرنے کے مقصد سے ضرور مکاتب قائم کریں ۔ مولانا مدنی نے کہا کہ ہمارے سامنے دومسئلے ہیں ، ایک ہے کسی بھی بے قصور مسلمان کا قتل ہونا اور دوسرا مرتد ہونا ، زیادہ بڑا چیلنج مرتد ہونا ہے ، کیوں یہ اجتماعی معاملہ ہے ، اس لیے اس کو روکنے کے لیے دینی تعلیم کا فروغ انتہائی ناگزیر ہے ، محلے کی ضروریات میں سے سب سے بڑی ضرورت بچوں کی تعلیم و تربیت کی تکمیل ہے ، اگر آپ محلے کے بچوں کی تعلیم و تربیت پر فکر مند ہو گئے تو آپ ان کے محسن اعظم بن جائیں گے ، اسی طرح عصری تعلیم کے لیے ٹیوشن کا بھی انتظام کرسکتے ہیں ۔
مولانا مدنی نے ائمہ کرام سے اپیل کی کہ وہ ماحولیات کو بھی اپنا میدان عمل بنائیں ، بالخصوص شجر کاری اور پانی کے بچائو پر خاص طور پر کام کریں۔انھوں نے اس سلسلے میں چینئی کا حوالہ دیا کہ وہاں کچھ دنوں قبل راشن کے اعتبار سے پانی بانٹاجاتا تھا، دہلی میں بھی ایسے حالات کا خطرہ ہے ۔
مولانا مدنی نے جمعیۃ علماء ہند کی چند خدمات پر روشنی ڈالتے ہوئے کہا کہ جمعیۃ طویل مدت سے آئینی حقوق کی حفاظت کے لیے مقدمات لڑرہی ہے، اس کے علاوہ قانون نافذ کرنے والی ایجنسیوں کے ذریعہ ماخوذ ہونے والوں کا مقدمہ لڑتی ہے ، جس میں دہشت گردی وغیرہ کے مقدمات شامل ہیں۔ اس کا امتیاز صرف جمعیۃ علماء ہند کو حاصل ہے ۔تیسری قسم یہ ہے کہ کسی مسلمان کو مسلمان ہونے کی و جہ سے ظلم کا سامنا ہے تو جمعیۃ علما ء ہند ان مظلوموں کو انصاف دلاتی ہے۔
مولانا حکیم الدین قاسمی ناظم عمومی جمعیۃ علماء ہند نے اپنے خطاب میں کہا کہ جمعیۃ علماء ہند تمام تحریکات کی محافظ جماعت ہے ، اس لیے اس جماعت کو مستحکم کرنا خود کو مستحکم کرنے کے مثل ہے ۔انھوں نے نیشنل جمبوری میں جمعیۃ یوتھ کلب کی کامیابیوں کا خاص طور سے تذکرہ کیا ۔انھوں نے ا ئمہ کرام سے اجلاس عام کو کامیاب بنانے کے لیے تعاون دینے اپیل کی ، جس پر ائمہ کرام نے تائید کی اور اپنی خدمات پیش کیں، اس سلسلے میں اجلاس کی تیاریوں کے تعلق سے دہلی میں متعدد کمیٹیاں تشکیل دی گئیں۔ازیں قبل جمعیۃ علماء ہند کی مختلف خدمات پر پاور پوائنٹ کے ذریعہ پرزینٹیشن پیش کیا گیا ۔ ماحولیات کی ماہرہ سعدیہ سہیل نے ماحولیات پر بذریعہ زوم پرزینٹیشن پیش کیا، اس موضوع سے متعلق تعارف جناب اویس سلطان خاں نے پیش کیا۔ دیگر اہم شرکاء میں سے مولانا دائو د امینی ، مولانا اسلام الدین قاسمی ، قاری عبدالسمیع ، مولانا فاروق مظہر اللہ ، مولانا محب اللہ قاسمی، مولانا اخلاق قاسمی مصطفی آباد، مفتی ذکاوت حسین، حاجی محمد یوسف، مفتی حسام الدین ،حاجی محمد آزاد رکن جماعت تبلیغ،دائود بھائی شیووہار، مولانا عبدالسبحان قاسمی ، حاجی نسیم الدین ، مولانا زاہد، حاجی اسعد میاں، مولانا شمیم قاسمی ذاکر نگر، قاری ربیع الحسن ، قاری عاشق، مفتی خبیب، مولانا عبدالکریم ، مولانا ارشاد، مفتی افسر، مولانا ولی اللہ سندر نگری، مولانا یوسف، ماسٹرنثار احمد، مفتی حفظ الرحمن، مولانا عبدالباسط ، مولانافرقان سمے پور بادلی، مولانا محمد، مولانا یوسف وزیر آباد، لونی سے قاری محمد نواب ، مفتی حسن، قاری عرفان ، مولانا جناب الدین، مولانا ناظم اشرف قاسمی، مفتی خلیل، مولانا آصف محمود ،قاری احرار، مولانا رضوان قاسمی، قاری ارشاد بوانہ ، مولانا ارشد ندوی وغیرہ شامل ہیں ۔مجلس کا آغازقاری محمد فاروق کی تلاوت سے ہوا جب کہ نعت مولانا حارث نے پیش کی ۔
مدیر محترم اس پر یس ریلیز کو شائع فرما کر شکر گزار کریں
نیاز احمد فاروقی ،سکریٹر ی جمعیۃ علما ء ہند