जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी के नेतृत्व में मुस्लिम बुद्धजीवियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने भारत सरकार के गृह मंत्री से मुलाकात की
- इस्लामोफोबिया, मॉब लिंचिंग, मुस्लिम आरक्षण, कश्मीर समेत एक दर्जन से अधिक मुद्दों पर बातचीत की
नई दिल्ली, 5 अप्रैल 2023। मुस्लिम धर्मगुरुओं और बुद्धिजीवियों के एक 16 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी के नेतृत्व में मंगलवार की देर शाम भारत सरकार के गृह मंत्री अमित शाह से उनके आवास पर मुलाकात की और उनके सामने देश में हो रहे सांप्रदायिक दंगों, नफरती अभियान, इस्लामोफोबिया, मॉब लिंचिंग, समान नागरिक संहिता, मदरसों की स्वायत्तता, कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण, कश्मीर की वर्तमान स्थिति, असम में जबरन बेदखली और वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा जैसे मुद्दों को लिखित रूप में प्रस्तुत किया। एक घंटे से अधिक चली इस बैठक में मौलाना कलीम सिद्दीकी और उमर गौतम की जमानत का मुद्दा भी उठाया गया।
इस अवसर पर बातचीत के आरंभ में जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि देश के दूसरे सबसे बड़े बहुसंख्यक वर्ग को निराशा के अंधेरे में धकेलने का प्रयास किया जा रहा है और नफरत एवं संप्रदायिकता की खुलेआम अभिव्यक्ति द्वारा देश के वातावरण को दूषित करने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है। इसके कारण आर्थिक और व्यावसायिक हानि होने के अलावा देश की अच्छी छवि भी धूमिल हो रही है। इन परिस्थितियों में हम आपसे यह आशा करते हैं कि इसके समाधान के लिए आप तत्काल कदम उठाएंगे।
गृह मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल द्वारा प्रस्तुत की गई मांगों को ध्यान से पढ़ा और देश की सांप्रदायिक स्थिति पर कहा कि इस बार रामनवमी त्योहार के अवसर पर जो धार्मिक तनाव और हिंसा हुई है, उससे हम भी चिंतित हैं। जिन राज्यों में हमारी सरकारें नहीं हैं, वहां हमने राज्यपाल या मुख्यमंत्री के जरिए इसे नियंत्रित करने की कोशिश की है और जहां हमारी सरकारें हैं, वहां जो भी घटनाएं हुई हैं, जांच के बाद दोषियों विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी।
गृह मंत्री ने मॉब लिंचिंग की घटनाओं के संबंध में कहा कि मॉब लिंचिंग की घटनाएं देश के किसी भी हिस्से में हुई हों, हमें यह देखने की जरूरत है कि हत्या की स्थिति में क्या धारा 302 के तहत हत्या का मामला दर्ज हुआ है या नहीं, अगर नहीं हुआ है, आप हमें लिख कर भेजें। हम इसे तत्काल सुनिश्चित करेंगे। इस संबंध में जमीअत उलमा-ए-हिंद जल्द ही ऐसी घटनाओं की सूची बनाकर गृह मंत्री को भेजेगी। प्रतिनिधिमंडल ने विशेष रूप से मेवात में एक के बाद एक हुई घटनाओं का भी उल्लेख किया और बताया कि वहां गौरक्षकों के नाम पर अराजक तत्वों का एक गिरोह है, जैसा कि स्टिंग ऑपरेशन में भी सामने आया है, उस पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है। इस पर गृह मंत्री अपनी सहमति व्यक्त की।
मीडिया के जरिए मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने पर उन्होंने कहा कि मीडिया के शिकार तो स्वयं भी हैं। इस्लामिक मदरसों के संदर्भ में उन्होंने कहा कि सरकार को इस पर कोई आपत्ति नहीं है कि मदरसों में कुरान और हदीस की शिक्षा दी जाए लेकिन इन मदरसों में बच्चों को आधुनिक शिक्षा भी प्रदान की जानी चाहिए। प्रतिनिधिमंडल के एक सदस्य ने मुस्लिम छात्रों के लिए मौलाना आज़ाद छात्रवृत्ति का मुद्दा भी उठाया।
गृह मंत्री ने कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण समाप्त किए जाने के संबंध में कहा कि जिन मुसलमानों को पिछड़ेपन के आधार पर आरक्षण मिल रहा था, वह मिलता रहेगा। अलबत्ता पहले की सरकारों ने सभी मुसलमानों को पसमांदा बना दिया था। इसलिए जो पसमांदा जातियों से संबंध नहीं रखते, उनको ईडब्ल्यूएस श्रेणी में आरक्षण मिलेगा। इस संबंध में जो भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं, हम उसे जल्द दूर करेंगे। इसके साथ ही कर्नाटक सरकार के कानून मंत्री द्वारा भी इस पर स्पष्टीकरण दिलवाएंगे।
कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर जब प्रतिनिधिमंडल ने आलोचना की, तो गृह मंत्री ने कहा कि अनुच्छेद 370 को हिंदू और मुसलमानों की समस्या नहीं बनाया जाना चाहिए, यह स्टेट पॉलिसी का हिस्सा है, लेकिन जहां तक वहां अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न की शिकायत है, तो इस संबंध में कोई विशेष मामला हो तो वह हमारे संज्ञान में लाईए, हम कठोर कार्रवाई करेंगे।
गृह मंत्री ने कहा कि उनकी सरकार किसी समुदाय के साथ भेदभाव नहीं करती है। सरकार की नीतियों और योजनाओं में हिन्दू-मुसलमान सब शामिल हैं, हम अलग से किसी के लिए योजना नहीं बनाते हैं। प्रतिनिधिमंडल ने एक बार फिर दोहराया कि समस्या सरकारी योजनाओं की नहीं है, बल्कि सबसे बड़ी समस्या यह है कि मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है, हेट क्राइम और इस्लामोफोबिया की घटनाओं ने देश की अच्छी छवि को प्रभावित किया है। इस संबंध में सरकार को अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए कदम उठाना चाहिए।
इस प्रतिनिधिमंडल में मौलाना महमूद असद मदनी अध्यक्ष, जमीअत उलमा-ए-हिंद, मौलाना असगर अली इमाम महदी सलफी अमीर मरकजी जमीयत अहले हदीस हिंद, मौलाना शब्बीर नदवी, अध्यक्ष नासेह एजुकेशन ट्रस्ट बैंगलोर, कमाल फारूकी, सदस्य ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, प्रो. अख्तरुल वासे, अध्यक्ष खुसरो फाउंडेशन, दिल्ली, पीए इनामदार, अध्यक्ष, एमसीई सोसायटी, पुणे, महाराष्ट्र, डॉ. ज़हीर काज़ी, अध्यक्ष, अंजुमन-ए-इस्लाम, मुंबई, मौलाना मोहम्मद सलमान बिजनौरी, उपाध्यक्ष जमीअत उलमा-ए-हिंद, मौलाना नदीम सिद्दीकी, अध्यक्ष जमीअत उलेमा महाराष्ट्र, मुफ्ती इफ्तिखार अहमद कासमी, अध्यक्ष जमीअत उलेमा कर्नाटक, मुफ्ती शमसुद्दीन बिजली महासचिव जमीयत उलेमा कर्नाटक, मौलाना अली हसन मजाहेरी, अध्यक्ष जमीयत उलेमा हरियाणा-पंजाब-हिमाचल प्रदेश, मौलाना याहिया करीमी महासचिव, जमीयत उलेमा हरियाणा-पंजाब-हिमाचल प्रदेश, मौलाना मोहम्मद इब्राहिम, अध्यक्ष जमीअत उलेमा केरल, हाजी हसन अहमद, महासचिव जमीअत उलेमा तमिलनाडु, मौलाना नियाज अहमद फारूकी, सचिव जमीअत उलेमा हिंद शामिल थे।
नोट: गृह मंत्री को दी गई मांगों की प्रति संलग्न है
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संपादकगण
इस प्रेस विज्ञप्ति को प्रकाशित करने की कृपा करें।
साभार
नियाज अहमद फारूकी, सचिव, जमीयत उलेमा-ए-हिंद
04 April 2023
आदरणीय श्री अमितशाह जी
माननीय गृहमंत्री
भारत सरकार
नई दिल्ली
हमारे प्रतिनिधिमण्डल को समय देने के लिए आभार व्यक्त करते हुए निम्नलिखित राष्ट्रहित से सबंधित महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर आपका ध्यान आकर्षित कराना चाहते हैं। उम्मीद करते हैं कि आप इन बिन्दुओं पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर इनका समाधान निकालने का कष्ट करेंगे। इसके लिए हम आपके अतिआभारी होगे।
(1) साम्प्रदायिक दंगें
अभी कुछ दिनों से देश के अलग अलग राज्यों में सड़कों पर जिस तरह से बलवा मचाया जा रहा है वह बहुत अफसोसनाक है। जिस देश की धरती पर हमें अपने विकास और एकता का प्रदर्शन करना चाहिए। आज उस धरती पर धार्मिक नारों, नफ़रती धमकियों और एक दूसरे पर हमलों के दृश्य देखने को मिल रहे हैं। इसे तुरन्त रोकने का प्रबंध किया जाए।
(2) देश में बढ़ते नफरती अभियान और इस्लामोफोबिया की रोकथाम
आज हमारे देश में इस्लामोफोबिया और मुसलमानों के विरुद्ध नफरत और उकसावे की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं।
जिसके कारण देश की आर्थिक और व्यापारिक हानि के अतिरिक्त देश की ख्याति भी प्रभावित हो रही है। इन परिस्थितियों में हम देश की संप्रभुता और ख्याति को लेकर भारत सरकार का ध्यान आकर्षित करना चाहती है किः
(1) वह तुरंत ऐसे उपायों पर रोक लगाए, जो लोकतंत्र, न्याय और समानता की आवश्यकताओं के विरुद्ध हैं और इस्लाम से शत्रुता पर आधारित हैं।
(2) नफरत फैलाने वाले तत्वों और मीडिया पर बिना किसी भेदभाव के कठोर कार्रवाई की जाए। विशेषकर सुप्रीम कोर्ट की स्पष्ट और उचित टिप्पणियों के बाद, इस संबंध में लापरवाही बरतने वाली एजेंसियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए और उपद्रवियों को दंडित किया जाए।
(3) विधि आयोग की सिफारिशों के अनुसार हिंसा के लिए उकसाने वालों को विशेष रूप से दंडित करने के लिए एक अलग क़ानून बनाया जाए और सभी अल्पसंख्यकों विशेष रूप से मुस्लिम अल्पसंख्यकों को सामाजिक-आर्थिक रूप से अलग-थलग करने के प्रयासों पर रोक लगाई जाए।
(4) देश में समरसता को बढ़ावा देने के लिए नेशनल फाउंडेशन फॉर कम्युनल हार्मनी (National Foundation for Communal Harmony) और नेशनल इंटेगरल काउंसिल (National Integral Council) को सक्रिय किया जाए और इसके तहत सह-अस्तित्व से संबंधित कार्यक्रम और प्रदर्शन आयोजित किए जाएं। विशेषकर सभी धर्मों के प्रभावशाली लोगों की संयुक्त बैठकें और सम्मेलन आयोजित किए जाएं।
(3) मीडिया के इस्लाम विरोधी रवैया पर अंकुश लगाने के उपाय
देश की सरकारों, जांच एजेंसियों और साइबर अपराध शाखाओं का ध्यान आकर्षित किया जाता है कि वह किसी की औपचारिक शिकायत की प्रतीक्षा किए बिना घृणा फैलाने वालों के खिलाफ स्वतः आपराधिक मामले दर्ज करें और आतंकवाद की रोकथाम की तरह कोई प्रभावी वॉच डॉग की व्यवस्था करें ताकि ऐसी सामग्रियों को तत्काल हटाया जाए।
ऐसे दलों, समूहों और पेजों की पहचान की जाए जिनके द्वारा लगातार धार्मिक रूप से ऐसी भड़काऊ सामग्री प्रकाशित की जाती हैं और उन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए।
(4) इस्लामी मदरसों की स्वतंत्रता और स्वायत्तता की रक्षा
इस्लामी मदरसे निर्धन और पिछड़े भारतीय मुसलमानों के लिए शिक्षा का सबसे महत्वपूर्ण माध्यम हैं। मदरसों से जुड़े उलेमा और छात्रों ने देश की स्वतंत्रता और निर्माण एवं विकास में अग्रणी भूमिका निभाई है। देश की संप्रभुता, सुरक्षा और युवाओं में देश की रक्षा और देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत करने में उनकी एक अनुकरणीय भूमिका है। ये मदरसे भारत की संस्कृति का एक शानदार हिस्सा हैं।
मदरसों की व्यवस्था में हमें सरकारी हस्तक्षेप बिलकुल स्वीकार नहीं है, उनकी स्वतंत्रता और स्वायत्तता संविधान में प्रदत्त हमारा मौलिक अधिकार है और हम इस पर कोई समझौता करने को तैयार नहीं हैं। लेकिन इसी के साथ छात्रों की सुरक्षा और उनकी शिक्षा एवं प्रशिक्षण के संबंध में किए जाने वाले हर उपाय के लिए हम तैयार हैं।
दीनी मदरसों के बारे में असम के मुख्यमंत्री का बयान निंदनीय और दिल दुखाने वाला है।
(5) समान नागरिक संहिता
समान नागरिक संहिता केवल मुसलमानों की समस्या नहीं है, बल्कि इसका संबंध देश के विभिन्न सामाजिक समूहों, सम्प्रदायों, जातियों और सभी वर्गों से है। हमारा देश अनेकता में एकता का सर्वोच्च उदाहरण है, हमारे बहुलतावाद की अनदेखी करते हुए जो भी कानून बनाया जाएगा, उसका सीधा प्रभाव देश की एकता और अखंडता पर पड़ेगा। यह अपने आप में समान नागरिक संहिता के विरोध का मुख्य कारण है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ के प्रति मुसलमानों की अधिक संवेदनशीलता का कारण इस्लामी शरीयत का जीवन के सभी क्षेत्रों और सामाजिक एवं नैतिक पहलुओं में अंतर्निहित होना है। पवित्र कुरान के आदेश इस ब्रह्मांड के रचनाकार द्वारा निर्मित हैं और उनमें कोई परिवर्तन नहीं जा सकता है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ या मुस्लिम पारिवारिक क़ानूनों को समाप्त करने का प्रयास लोकतंत्र की भावना और भारत के संविधान में दी गई गारंटी के विरुद्ध है। जब इस देश का क़ानून लिखा जा रहा था तब संविधान सभा ने यह गारंटी दी थी कि मुसलमानों के धार्मिक मामलों विशेषकर उनके पर्सनल लॉ से कोई भी छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। संविधान के अनुच्छेद 25 से 29 तक का यही उद्देश्य और भावना है।
(6) मॉब लिंचिग
हमारे देश में भीड़ तंत्र के द्वारा लोगों को मारने की आम परम्परा चल पड़ी है। कुछ दिनों पहले मेवात में और मध्य प्रदेश में दो आदिवासियों की हत्या, इसी तरह कर्नाटक में कल ही एक मुस्लिम व्यक्ति को बेरहमी से मार दिया गया। यह सब भारत के हर नागरिक के लिए दुखदायक है। इसको रोकने लिए तुरन्त कठोर कदम उठाने की ज़रूरत है।
(7) कर्नाटक में आरक्षण
कर्नाटक में पसमांदा मुसलमानों के लिए दिया जाने वाला आरक्षण समाप्त कर दिया गया। जो सरकार के इस दावे के विरुद्ध है कि सरकार पसमांदा मुसलमानों के उत्थान के लिए काम करेगी। जब प्रधानमंत्री ने यह ऐलान किया था तब हमने अपने अधिवेशन में इसका स्वागत किया था। लेकिन आज जो कुछ कर्नाटक में किया गया है वह हम सबके लिए ही नही बल्कि देश के लिए भी बहुत गलत है।
(8) वक़्फ़ संपित्तयों के संरक्षण के उपाय
वक़्फ़ संपत्तियों की रक्षा केवल मुसलमानों की ही नहीं बल्कि सरकार की भी जिम्मेदारी है। उसका संरक्षण इसी सोच के साथ किया जाना जरूरी है।
(1) एसजीपीसी की तर्ज पर वक़्फ़ बोर्ड को एक स्वायत्त निकाय बनाया जाए।
(2) वक़्फ़ विभाग और पुरातत्व विभाग के प्रबंधन में जो उजाड़ और सुनसान मस्जिदें हैं, अविलंब उनको बहाल किया जाए और उनमें नमाज़ की अनुमति दी जाए। इसके साथ ही जहां नमाज़ें हो रही हैं, उनमें नमाज़ पढ़ने से रोका न जाए।
(9) कश्मीर की वर्तमान स्थिति
कश्मीर की वर्तमान स्थिति देशहित की दृष्टि से बिलकुल भी संतोषजनक नहीं है। अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद सरकार को कश्मीरियों के मौलिक अधिकारों, शिक्षा, विकास और कश्मीरी पहचान और संस्कृति को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान देना चाहिए था। लेकिन इसके बजाय विभिन्न सरकारी और सार्वजनिक पदों पर ऐसे अधिकारियों को नियुक्त किया गया है, जिनकी हालिया कार्रवाइयों और सांप्रदायिक पहल से न केवल कश्मीरी जनता बल्कि हम सभी बहुत आहत हैं। अनुच्छेद 370 को हटाने के लिए अपनाया गया अनुचित तरीका भी अपने आप में कोई बुद्धिमानी नहीं थी और जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने उस समय भी इस ओर ध्यान दिलाया था। हम एक बार फिर सरकार से विनम्र अनुरोध करते हैं कश्मीरियों के साथ सहानुभूतिपूर्वक रवैया अपनाया जाए और संविधान के अनुसार उन्हें उचित अधिकार दिए जाएं।
(10) असम में जबरिया निष्कासन के सरकारी रवैये की निंदा और उनका पुनर्वास
असम में सरकारी ज़मीनों को खाली कराने के नाम पर जिस तरह से गरीबों को परेशान किया जा रहा है और उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है वह निंदनीय है। सरकार को उनके पुर्नवास की जिम्मेदारी कबूल करनी चाहिए और गरीबों को धमकी देने के बजाय उनके साथ देश के कानून और मानवीय पक्ष को सामने रखना चाहिए।
इसके अतिरिक्त गत कुछ दिनों से असम सरकार ने बाल विवाह के नाम पर हजारों लोगों को गिरफ्तार कर के जेलों में डाल दिया है। बाल विवाह के नाम पर गिरफ्तारी समस्या का समाधान नहीं है बल्कि इससे और अधिक समस्याएं पैदा हो रही हैं। विशेषकर लड़कियों का जीवन बर्बाद हो रहा है। इस संबंध में असम सरकार कुछ ऐसा उपाय करे जिससे गरीबी, निरक्षरता और पिछड़ापन- जो बाल विवाह के मूल कारण हैं- उनकी समाप्ति के लिए लाभकारी और प्रभावी कदम साबित हो सकें।
(11) मौलाना कलीम सिद्दीकी और अन्य की रिहाई
मौलाना कलीम सिद्दीकी, उमर गौतम और उनके अन्य साथी लगभग 2 वर्षों से जेल में बंद हैं। उनपर धर्मान्तरण का आरोप है। जो कानूनी प्रक्रिया अदालत में चल रही है वो अपना कार्य करेगी, परन्तु उनको ज़मानत न देना और लम्बे समय तक जेल में रखना, जबकि इससे कठोर और संगीन मुल्ज़िमों को ज़मानत पर रिहा किया जा रहा है, यह न्याय से मेल नहीं खाते।
हम आपसे अनुरोध करते है कि सरकार उनकी जमानत में सहायता प्रदान करे और बाधाओं को दूर करे।
(12) समलैंगिक विवाह को मामला
समलैंगिक विवाह के संबंध में सरकार ने उच्चतम न्यायालय में जो रूख़ अपनाया है हम उसकी प्रशंसा करते हैं। जमीअत उलमा-ए-हिन्द ने भी उच्चतम न्यायालय में इस अप्राकृतिक विवाह के विरूध पिटीशन दायर की है।
(13) तुर्की और सीरिया में आए भयानक भूकंप
तुर्की और सीरिया में आए भयावह भूकंप पीड़ितों के लिए भारत सरकार ने जिस तरह दिल खोल कर मदद की है हम इसकी सराहना करते हैं। इससे दुनियां में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है।
(14) सद्भावना मंच
देशवासियों के बीच से नफरत को दूर करने के लिए और एक-दूसरे को करीब लाने के लिए केवल बातचीत ही पर्याप्त नहीं है बल्कि एक ऐसे मंच की आवश्यकता अत्याधिक लग रही है जहां विभिन्न संप्रदायों और समुदाय के लोग सामाजिक स्तर पर एक-दूसरे के साथ मेलजोल रख सकें। इसी विचार के साथ जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सद्भावना मंच की स्थापना का निर्णय लिया था। अब तक देशभर में लगभग 200 सम्मेलन आयोजित किए जा चुके हैं। जिनमें विभिन्न धर्मों के गुरुओं के साथ उनके अनुयायियों ने भी भाग लिया। इन सम्मेलनों में गौहत्या, लाउडस्पीकर के इस्तेमाल और स्थानीय धार्मिक विवादों के अलावा वातावरण की सुरक्षा, वृक्षारोपण, पानी का सावधानीपूर्वक उपयोग और स्वच्छता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को संयुक्त संघर्ष का विषय बनाया गया।
धन्यवाद
सदस्य प्रतिनिधिमंडल
1 |
मौलाना महमूद असद मदनी |
अध्यक्ष जमीयत उलमा-ए-हिंद |
2 |
मौलाना असगर अली इमाम मेहदी सलफ़ी |
अमीर, मरकजी जमीयत अहले हदीस हिन्द |
3 |
मौलाना शब्बीर नदवी |
अध्यक्ष नासेह एजुकेशन ट्रस्ट बंगलौर |
4 |
जनाब कमाल फारूकी |
सदस्य, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड |
5 |
प्रो. अख्तरुल वासे |
अध्यक्ष, खुसरो फाउंडेशन, दिल्ली
|
6 |
जनाब पीए इनामदार |
चेयरमैन एमसीई सोसायटी पुणे, महाराष्ट्र |
7 |
डॉ. जहीर काजी |
अध्यक्ष अंजुमन-ए-इस्लाम, मुंबई |
8 |
मौलाना मोहम्मद सलमान बिजनौरी |
उपाध्यक्ष, जमीयत उलेमा-ए-हिंद |
9 |
मौलाना नदीम सिद्दीकी |
अध्यक्ष, जमीयत उलेमा महाराष्ट्र |
10 |
मुफ्ती इफ्तिखार अहमद |
अध्यक्ष, जमीयत उलेमा कर्नाटक |
11 |
मुफ्ती शम्सुद्दीन बजली |
महासचिव, जमीयत उलेमा कर्नाटक |
12 |
मौलाना अली हसन मजाहिरी |
अध्यक्ष, जमीयत उलमा हरियाणा–पंजाब-हिमाचल प्रदेश |
13 |
मौलाना याहया करीमी |
महासचिव, जमीयत उलमा हरियाणा–पंजाब-हिमाचल प्रदेश |
14 |
मौलाना मुहम्मद इब्राहिम |
अध्यक्ष, जमीयत उलेमा केरल |
15 |
हाजी हसन अहमद |
महासचिव, जमीयत उलेमा तमिलनाडु |
16 |
मौलाना नियाज अहमद फारूकी |
सदस्य कार्यकारणी जमीयत उलेमा-ए-हिंद |
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