Triumph of Justice’’
JUH President Maulana Mahmud Asa’d Madani on Supreme Court's verdict in the Bilqis Bano Case"
New Delhi January 8, 2024: In a landmark verdict, the Supreme Court has set aside the remission of 11 convicts in the infamous Bilkis Bano case. The case, which garnered national attention, revolves around the horrifying gang rape and massacre of Bilkis Bano's family during the 2002 Gujarat riots.
President of Jamiat Ulama-i-Hind, Maulana Mahmood Asa’d Madani, has welcomed the Supreme Court's judgment, characterizing it as a preservation of justice and the rule of law. "This verdict is a significant victory for the rule of law and sends a clear message that justice cannot be compromised under any circumstances."
He further said “This also reaffirms the commitment of the judiciary to ensure that justice is served impartially and without interference from external pressures. The decision will serve as a lesson for governments to administer justice impartially. Furthermore, the government should apply mind and wisdom and recognize the severity of heinous crimes, such as rape and murder.”
Reflecting on the prolonged and sacrifice-laden struggle for justice in the Bilkis Bano case, Maulana Madani highlighted that Jamiat Ulama-i-Hind constructed over thirty colonies for the victims of the Gujarat riots and provided legal recourse in many cases, including that of Bilkis Bano. Recounting the horrifying events during the Gujarat riots in Randhirpur at Dahod district, he noted that 18 individuals were killed near Qaisarpura, and Bilkis, along with seven women, endured rape and mass atrocities. Despite the brutal crimes, the Gujarat Police failed to conduct a proper investigation, resulting in no arrests. Subsequently, the Supreme Court entrusted the inquiry to the CBI. The case was later transferred to the Bombay High Court, where Jamiat Ulama-i-Hind and an organization called Jan Vikas continued to pursue justice. The recent remission of convicts in 2022 created an atmosphere of fear in the village, contrary to the promised resolution of justice.
Maulana Madani underscored the proactive role of Jamiat Ulama-i-Hind in construction of Rahimabad, a colony for the people of Randhikpur in the town of Bariya. This initiative aimed to provide shelter and support to Bilkis Bano and her village members.
बिलकीस बानो मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत
- जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने इसे न्याय की जीत बताया
नई दिल्ली, 8 जनवरी 2024: सुप्रीम कोर्ट ने बिलकीस बानो मामले में 11 दोषियों की रिहाई से संबंधित गुजरात सरकार की प्रक्रिया को रद्द कर दिया है। ज्ञात हो कि 3 मार्च 2002 को गुजरात दंगों के दौरान एक भीड़ ने बिलकीस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया था और परिवार के कई सदस्यों की हत्या कर दी थी।
जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का हार्दिक स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि यह कानून और न्याय के शासन की जीत है और इसका स्पष्ट संदेश है कि किसी भी स्थिति में न्याय से समझौता नहीं किया जाना चाहिए। उम्मीद है कि यह फैसला भविष्य के लिए एक उदाहरण बनेगा कि सरकारों को न्याय प्रदान करने में निष्पक्ष एवं गैर-पक्षपातपूर्ण होना चाहिए और बलात्कार और हत्या जैसे जघन्य अपराधों की गंभीरता के प्रति उदासीन नहीं होना चाहिए।
मौलाना मदनी ने बताया कि बिलकीस बानो का मामला एक लंबे संघर्ष और बलिदानों से भरा हुआ है। जमीअत उलमा-ए-हिंद ने गुजरात दंगा पीड़ितों के लिए जहां तीस से अधिक कॉलोनियों का निर्माण करवाया, वहीं बिलकीस बानो सहित कई मुकदमे लड़े। गुजरात दंगों के दौरान रणधीरपुर दाहोद जिले में दंगाइयों ने कैसरपुरा के असपास 18 लोगों को शहीद कर दिया। बिलकीस और उसकी 7 सहेलियों के साथ दरिंदों ने सामूहिक बलात्कार किया। बिलकीस की लड़की को चीरकर आग में डाल दिया गया। गुजरात पुलिस ने जांच में लापरवाही की, जिसके कारण किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी। गुजरात सरकार के रवैये के कारण बिलकीस बानो का मामला बॉम्बे हाई कोर्ट में स्थानांतरित हो गया, जहां जमीअत उलमा–ए-हिंद और जन विकास नामक संगठन ने मुकदमे की पैरवी की। इसके साथ ही रणधीरपुर के लोगों के लिए बारिया नामक कस्बे में 'रहीमाबाद' के नाम से जमीअत उलमा-ए-हिंद ने एक कॉलोनी का निर्माण करवाया, जहां बिलकीस बानो अपने पति के साथ रहने लगी। अभी 2022 में जब इन अपराधियों की रिहाई हुई तो गांव में डर का माहौल पैदा हो गया था। इस अवसर पर जमीअत उलमा-ए-हिंद के प्रतिनिधिमंडल ने जमीअत महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी के नेतृत्व में प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और हर संभव सहायता का आश्वासन दिया था।
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