Ensure Strict Enforcement of Religious Places Act 1991: JUH WC
Jamiat National Working Committee Vows to Protect Waqf Properties
New Delhi, January 6: A significant National Working Committee meeting of Jamiat Ulama-i-Hind was held under the president-ship of JUH Maulana Mahmood Asa’d Madani at the Jamiat Headquarters in New Delhi. The meeting addressed key issues such as the protection of waqf properties, enforcement of the Places of Worship Act 1991, Ram Temple events, and Israeli terrorism in Palestine. Resolutions were unanimously passed in these issues.
Deliberating on the upcoming Ram Temple celebrations and the active involvement of ruling powers, the JUH WC issued the following resolution:
"In light of the recent events surrounding the Ram temple in Ayodhya, this meeting of the Jamiat Ulama-i-Hind deems it necessary to draw the attention of the government and law enforcement agencies to concerns about the breach of peace and attempts to harass and intimidate the minority community. The escalating atmosphere of animosity within the country is detrimental to its overall well-being. Furthermore, we perceive the active participation of the government as an attempt to unduly influence in upcoming elections.
It is crucial to reiterate our stance on this matter, emphasizing that the Supreme Court's judgment on the Babri Masjid does not align with principles of justice. The decision appears rooted in faith and technicalities rather than the spirit of justice. The Supreme Court itself has acknowledged the absence of evidence supporting the claim that the Babri Masjid was constructed by demolishing a temple.
This meeting is also concerned that despite the Supreme Court's assurance in its Ayodhya judgment regarding strict enforcement of the Religious Places Act 1991, petitions concerning other mosques are still being entertained in the several courts. This approach has eroded the citizens' confidence in the fairness of the judiciary.
Expressing concern over the government's active participation in the Ram Mandir celebrations, we urge the government and its institutions to refrain from adopting biased policies. Additionally, we appeal to citizens of the country to make every possible effort to uphold law and order and maintain peace in these challenging circumstances. Despite provocations, Muslims should remain resilient and patient, not succumbing to despair."
On this occasion, in his key presidential address, Maulana Mahmood Asa’d Madani emphasized the protection of Mosques as a key objective of Jamiat Ulama-i-Hind. He highlighted the need for a strategic plan of action and remedial measures amid controversies surrounding places of worship.
The meeting also discussed recommendations from the Central Waqf Committee regarding Waqf properties. Emphasizing the systematic struggle to address issues related to protection of Waqf properties, it was decided to revive the Waqf Department in the Jamiat office and hold the National Awqaf Conference in Hyderabad in February 2024.
The meeting addressed the recently enacted law on mob lynching, forming a three-member committee to conduct a detailed study of various aspects of the law.
Deep grief and concern were expressed over the ongoing Genocide in Palestine. The resolution urged the Government of India to use its influence to stop the Israeli cruelty and brutality and implementation of United Nations Resolutions related to the establishment of a free and independent Palestinian state, and ensure the rights of Palestinians. Concerns were raised over the violence in Manipur, attributing it to the failure of the government machinery.
Regarding Jamiat's position on supporting political parties, the meeting agreed that officials of Jamiat may personally support secular political parties, but the organization as a whole does not endorse any specific political party in election.
It was reported that certain units supported for a specific political party and actively engaging in election campaigns. This Working Committee cautions them that repeated violations may lead to disciplinary action.
The WC also decided to hold the national governing meeting in Delhi in May 2024. Prayers for the departed souls of notable personalities were offered, concluding the meeting with a supplication by Maulana Rehmatullah Mir Kashmiri, a member of Shura Darul Uloom Deoband.
The meeting was attended by notable figures, including President Maulana Mahmood Asa’d Madani, General Secretary Maulana Hakeemuddin Qasmi, Darul Uloom Rector Mufti Abul Qasim Naumani, Maulana Rahmatullah Mir, Maulana Muhammad Salman Bajnori, Maulana Qari Shaukat Ali, Mufti Muhammad Salman Mansoorpuri, Maulana Mufti Muhammad Rashid Azmi, and several others from different states.
देशहित में पूजा स्थल अधिनियम 1991 को सख्ती से लागू किया जाए
- वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए व्यापक संघर्ष का फैसला, मरकजी वक्फ कमेटी और वक्फ विभाग के कार्यालय को पुनर्जीवित किया
- जमीअत उलमा-ए-हिंद के सम्मेलन में कई अहम प्रस्ताव पारित
नई दिल्ली, 6 जनवरी, 2024: जमीअत उलमा-ए-हिंद की कार्यकारिणी समिति की एक महत्वपूर्ण सभा जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी की अध्यक्षता में मदनी हॉल, आईटीओ, नई दिल्ली में आयोजित की गई, जिसमें वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा, पूजा स्थल अधिनियम के बावजूद मस्जिदों और मकबरों के खिलाफ संप्रदायिक शक्तियों के चल रहे अभियान, राम मंदिर समारोह, फिलिस्तीन में जारी इजरायली आतंकवाद जैसे कई ज्वलंत मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई और महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। इससे पूर्व जमीअत उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने पिछली कार्यवाही प्रस्तुत की और एडवोकेट मौलाना नियाज़ अहमद फारूकी ने पूजा स्थल अधिनियम और नई दंड संहिता के तहत मॉब लिंचिंग के लिए अलग से सजा के प्रस्ताव की पृष्ठभूमि पर विस्तार से प्रकाश डाला।
इस अवसर पर अपने अध्यक्षीय भाषण में जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने कहा कि मस्जिदों और मजारों की सुरक्षा जमीअत उलमा-ए-हिंद के मुख्य उद्देश्यों में शामिल है। वर्तमान समय में जिस तरह से एक के बाद एक इबादतगाहों को विवादास्पद बनाने की कोशिश की जा रही है, इसके मद्देनजर यह अत्यंत आवश्यक है कि एक ठोस कार्य योजना बनाई जाए और समाधान के उपायों के माध्यम से इनका स्थाई हल निकाला जाए। उन्होंने कहा कि कुछ शक्तियां मुस्लिम अल्पसंख्यकों के नीचा दिखाने और उनको मानसिक प्रताड़ना और चोट पहुंचाने के लगातार कोशिशें कर रही हैं, इसमें मीडिया की भी बड़ी भूमिका है। जमीअत उलमा-ए-हिंद ने हमेशा एसी शक्तियों से मुकाबला किया है और देश एवं राष्ट्र के पक्ष में सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने के साथ-साथ संविधान और कानून के माध्यम से न्याय प्राप्त करने की कोशिश की है। इसके अलावा, सरकारों को भी ऐसी परिस्थितियों को नियंत्रित करने के लिए बार-बार सावधान किया है। वर्तमान समय में हम उसी भूमिका पर कायम हैं और एक सकारात्मक और स्थिर सोच के साथ स्थिति का सामना कर रहे हैं। मौलाना मदनी ने विशेष रूप से राम मंदिर समारोह की पृष्ठभूमि में कुछ चिंताओं की ओर भी ध्यान आकर्षित किया।
मौलाना मदनी ने इसके अलावा मुसलमानों की सामाजिक और सामुदायिक स्थिति पर भी गहरी चिंता व्यक्त की और कहा कि समाज सुधार के अभियानों को सही दिशा देने की जरूरत है। युवाओं में नशे की लत और मुसलमानों की समग्र परिस्थितियों में गिरावट के बावजूद शादी-ब्याह में फिजूलखर्ची के समाधान के लिए हमें कड़ी मेहनत करनी होगी। केवल पारंपरिक तरीका अपनाकर समाज सुधार का अभियान लाभदायक नहीं हो सकता, बल्कि विभिन्न समुदायों को जोड़कर काम करने की जरूरत है। उन्होंने कार्यकारिणीप समिति के सदस्यों से राष्ट्र निर्माण के लिए ठोस कार्ययोजना बनाने की अपील की।
कार्यकारिणी समिति ने अपने फैसले में राम मंदिर समारोहों की पृष्ठभूमि में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया। इस प्रस्ताव में कहा गया कि जमीअत उलमा-ए-हिंद की यह सभा शांति भंग करने, अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित करने और डराने-धमकाने की कोशिशों पर चिंताओं की ओर सरकार सरकार और कानून एवं व्यवस्था प्रवर्तन एजेंसियों का ध्यान आकर्षित करना आवश्यक समझती है। देश में जो घृणा का वातावरण बनाया जा रहा है वह किसी भी तरह से देशहित में नहीं है। इसके अलावा हम इसे चुनाव को अनुचित तरीके से प्रभावित करने का माध्यम भी मानते हैं। हम इस अवसर पर अपने इस रुख को दोहराना जरूरी समझते हैं कि बाबरी मस्जिद के संबंध में सुप्रीम कोर्ट का फैसला न्याय के मानकों पर खरा नहीं उतरता। यह निर्णय न्याय की भावना के विपरीत आस्था और तकनीकी पहलुओं पर आधारित है। सुप्रीम कोर्ट ने स्वयं माना है कि इस बात का कोई सबूत मौजूद नहीं है कि बाबरी मस्जिद का निर्माण मंदिर को तोड़कर किया गया था। सभा को इस बात पर भी चिंता है कि "पूजा स्थल कानून 1991 के कठोरती से क्रियान्वयन से संबंधित अपने फैसले में आश्वासन के बावजूद, अदालतें अन्य मस्जिदों पर दावों की भी सुनवाई कर रही हैं। यह रवैया न्याय व्यवस्था में देश के न्यायप्रिय लोगों का विश्वास कम करने का कारण है।
प्रस्ताव में आगे कहा गया कि राम मंदिर के समारोहों में सरकार की सक्रिय भागीदारी को एक अनुचित प्रक्रिया मानते हुए हम यह अपील करते हैं कि सरकार और उसकी संस्थाओं को पक्षपातपूर्ण नीति से बचना चाहिए। इसके साथ ही हम मुसलमानों और देश की जनता से यह भी अपील करते हैं कि वह इन परिस्थितियों में देश में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास करें।
कार्यकारिणी समिति में वक्फ संपत्तियों को लेकर जमीअत की मरकजी वक्फ कमेटी की सिफारिशें पेश की गईं। अत: इससे संबंधित विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए संगठित संघर्ष पर बल देते हुए यह निर्णया किय गया कि जमीअत उलमा-ए-हिंद कार्यालय के 'अवकाफ विभाग' को पुनर्जीवित किया जाए, इसके लिए मरकजी वक्फ कमेटी के संयोजक हाजी मोहम्मद हारून साहब भोपाल को नियुक्त किया गया। साथ ही समिति की सिफारिशों पर विचार करते हुए यह निर्णय लिया गया कि राष्ट्रीय 2024 में हैदराबाद में अवकाफ सम्मेलन फरवरी आयोजित किया जाए।
सभा में मॉब लिंचिंग से संबंधित बनाए गए नए कानून की समीक्षा की गई। यह पाया गया कि कानून के विभिन्न पहलुओं का विस्तृत अध्ययन आवश्यक है। इसलिए इस उद्देश्य के लिए एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया, जिसके सदस्य (1) एडवोकेट एमआर शमशाद (2) एडवोकेट तैय्यब खान (3) एडवोकेट नियाज़ अहमद फारूकी हैं। यह कमेटी अगले तीस दिनों में अपनी रिपोर्ट देगी।
सभा में फ़िलिस्तीन में जारी खूनी नरसंहार और मानवीय मौतों पर गहरा दुःख और चिंता व्यक्त की गई। पारित प्रस्ताव में कहा गया कि शर्मनाक बात यह है कि इस घोर क्रूरता को रोकने में संयुक्त राष्ट्र भी विफल और अमेरिका एवं उसके सहयोगी देश इजराइल का समर्थन और सहयोग कर रहे हैं। इस भयावह स्थिति पर जमीअत उलमा-ए-हिंद विश्व समुदाय विशेष रूप से भारत सरकार से मांग करती है कि वह अपने प्रभाव का उपयोग कर इस क्रूरता को जल्द से जल्द बंद कराने और फिलिस्तीनियों को उनके अधिकार दिलाने का प्रयास करें और एक स्वतंत्र एवं संप्रभु फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना से संबंधित संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों को लागू कराएं।
सभा में मणिपुर में जारी हिंसा और उसके बढ़ते प्रभाव पर गहरी चिंता व्यक्त की गई और इसे सरकार और मशीनरी की विफलता बताया गया।
सभा में एक दल या पदाधिकारी के रूप में चुनाव में किसी राजनीतिक दल के समर्थन और प्रचार को लेकर जमीअत के रुख पर चर्चा हुई। इस संबंध में यह प्रस्ताव पारित किया गया कि जमीअत उलमा-ए-हिंद के पिछले निर्णय और लंबे समय से चली आ रहे रुख के अनुसार, जमीअत के पदाधिकारी चुनावों में धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक दलों का समर्थन व्यक्तिगत रूप से कर सकते हैं, लेकिन जमीअत उलमा-ए-हिंद के तौर पर चुनावों में किसी विशेष राजनीतिक दल का समर्थन नहीं किया जा सकता।
हाल के दिनों में ऐसी शिकायतें आई हैं कि जमीअत उलमा-ए-हिंद की कुछ इकाइयों और पदाधिकारियों ने औपचारिक रूप से जमीअत उलमा-ए-हिंद की ओर से किसी विशेष पार्टी के लिए अपना समर्थन की घोषणा की और चुनाव अभियान में सक्रिय रूप से भाग लिया। उनकी इस तरह की हरकत को जमीअत के नियमों का उल्लंघन घोषित करते हुए, कार्यकारिणी समिति की यह सभा अपने पिछले प्रस्ताव को दोहराती है और इसको सख्ती से मानने और उल्लंघन करने वालों को चेतावनी देने और भविष्य में उल्लंघन के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का निर्देश देती है। कार्यकारिणी में समाज सुधार के लिए कार्ययोजना तैयार करने, कुरान पढ़ाने के लिए पाठ्यक्रम तैयार करने, काम करने का तरीका और दिशानिर्देशों को संकलित करने और जमीअत बिल्डिंग गली बल्लीमारान आदि के लिए अलग-अलग समितियां भी बनाई गईं जो निर्धारित अवधि के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगी। इसके साथ ही यह निर्णय लिया गया कि मई 2024 के महीने में केंद्रीय प्रबंधन समिति की बैठक दिल्ली में आयोजित की जाए। सभा देर रात शूरा दारुल उलूम देवबंद के सदस्य मौलाना रहमतुल्ला मीर कश्मीरी की दुआ के साथ समाप्त हुई।
सभा में जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी और महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी के अलावा मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी मोहतमिम दारुल उलूम देवबंद, मौलाना रहमतुल्लाह मीर कश्मीरी, मौलाना मोहम्मद सलमान बिजनोरी जमीअत उलमा-ए-हिंद के उपाध्यक्ष, मौलाना कारी शौकत अली शामिल जमीअत उलमा-ए-हिंद के कोषाध्यक्ष, नायब अमीरुलहिंद मौलाना मुफ्ती मोहम्मद सलमान मंसूरपुरी, मौलाना मुफ्ती मोहम्मद राशिद आजमी नायब मोहतमिम दारुल उलूम देवबंद, मौलाना अब्दुल्ला मारूफी दारुल उलूम देवबंद, हाजी मोहम्मद हारून मध्य प्रदेश, मौलाना मोहम्मद आकिल गढ़ी दौलत, मौलाना मुफ्ती मोहम्मद अफ्फान मंसूरपुरी, मुफ्ती मोहम्मद जावेद इकबाल किशनगंज, मौलाना नियाज अहमद फारूकी एडवोकेट, मौलाना कलीमुल्लाह खान कासमी, मौलाना मोहम्मद नाजिम पटना, मौलाना मोहम्मद इब्राहीम केरल, मौलाना अब्दुल कुद्दूस पालनपुरी, हाफिज ओबैदुल्ला बनारस, मुफ्ती अब्दुर्रहमान कासमी नौगावां सादात, मौलाना यह्या करीमी मेवात, मुफ्ती अब्दुल कादिर असम, मौलाना हबीबुर्रहमान इलाहाबाद ने भाग लिया।
وقف املاک کے تحفظ کے لیے منظم جد وجہد کا فیصلہ، مرکزی وقف کمیٹی اور شعبہ اوقاف کا احیا
جمعیۃ علماء ہند کے اجلاس مجلس عاملہ میں کئی اہم تجاویز منظور
نئی دہلی 6؍ جنوری: جمعیۃ علماء ہند کی مجلس عاملہ کا اہم اجلاس مولانا محمود اسعد مدنی، صدر جمعیۃ علماء ہند کے زیر صدارت بمقام مدنی ہال ، آئی ٹی او ، نئی دہلی منعقدہوا ، جس میں وقف املاک کا تحفظ ، عبادت گاہ ایکٹ کے باوجود مساجد و مقابر کے خلاف فرقہ پرستوں کی جاری مہم ، رام مندر تقریبات،فلسطین میں اسرائیلی دہشت گردی جیسے سلگتےہوئے مسائل پر تفصیل سے تبادلہ خیال ہوااورا ہم فیصلے کئے گئے ۔ازیں قبل جمعیۃ علما ء ہند کے جنرل سکریٹری مولانا حکیم الدین قاسمی نے سابقہ کارروائی کی خواندگی کی اورایڈوکیٹ مولانا نیاز احمد فاروقی نےعبادت گاہ ایکٹ اور نئے تعزیری قانون کے تحت ما ب لنچنگ کے لیے علیحدہ سزا تجویز کرنے کے پس منظر پر تفصیل سے روشنی ڈالی ۔
اس موقع پر اپنے صدارتی کلمات میں صدر جمعیۃعلماء ہند مولانامحمود اسعدمدنی نے کہا کہ مساجد ومقابر کا تحفظ جمعیۃ علماء ہند کے بنیادی مقاصد میں شامل ہے ، موجودہ دور میں جس طرح ایک کے بعد ایک عبادت گاہوں کو متنازع بنانے کی کوشش کی جارہی ہے ،اس کے مدنظر یہ ضروری ہے کہ ٹھوس لائحہ عمل وضع کیا جائے اور تدارکی تدابیراختیار کی جائیں ۔انھوں نے کہا کہ کچھ طاقتیں مسلم اقلیت کو نیچا دکھانے اور ان کو ذہنی کرب و اذیت میں مبتلا کرنے کی پہ درپہ کوشش کررہی ہیں، اس میں میڈیا کا بھی بڑا کردار ہے ۔جمعیۃ علماء ہند نے ہمیشہ ایسی طاقتوں کا مقابلہ کیا ہے اور ملک و ملت کے حق میں فرقہ وارانہ ہم آہنگی کو فروغ دینے کے ساتھ آئین اور قانون کے وسیلے سے انصاف حاصل کرنے کی کوشش کی ہے، اس کے علاوہ حکومتوں کو بھی ایسی صورت حال پر قابو پانے کے لیے بارہا متنبہ کیا ہے ۔ موجودہ وقت میں ہم اسی کردار پر قائم ہیں اور ایک مثبت اورمستحکم سوچ کے ساتھ صورت حال کا مقابلہ کررہے ہیں۔مولانا مدنی نے بالخصوص رام مندر تقریبات کے پس منظر میں چند خدشات کی طرف بھی توجہ دلائی ۔
مولانا مدنی نے اس کے علاوہ مسلمانوں کی سماجی و معاشرتی صورت حال پر گہری فکر مندی کا اظہار کیا اور کہا کہ اصلاح معاشرہ کی تحریکات کو صحیح رخ دینے کی ضرورت ہے ۔نوجوانوں میں منشیات کی لت اور ملت کے مجموعی حالات کی ابتری کے باوجود شادی بیاہ میں فضول خرچی کے سدباب کے لیے ہمیں کمربستہ ہونا پڑے گا ۔محض روایتی طریقہ اختیار کرنے سے معاشرہ کی اصلاح کی مہم نفع بخش نہیں ہوسکتی بلکہ مختلف برادریوں کو جوڑکرکام کرنے کی ضرورت ہے ۔ انھوں نے ارکان عاملہ کو متوجہ کیا کہ وہ ملت کی تعمیر کے لیے ٹھوس لائحہ عمل وضع کریں ۔
مجلس عاملہ نے اپنے فیصلے میں رام مندر تقریبا ت کے پس منظر میں ایک اہم تجویز منظور کی ، چنانچہ تجویز میں یہ کہا گیا کہ جمعیۃ علماء ہند کا یہ اجلاس نقض امن، اقلیت کو ہراساں اور خوف زدہ کرنے کی کوششوں کے بارے میں خدشات کی طرف حکومت اور لاء اینڈ آرڈر نافذ کرنے والی ایجنسیوں کی توجہ مبذول کرانا ضروری سمجھتا ہے ۔ ملک میں نفرت کا جوماحول پیدا کیا جارہا ہے ، وہ کسی بھی طرح ملک کے مفاد میں نہیں ہے ۔ علاوہ ازیں ہم اسے انتخابات پر نامناسب اثر ڈالنے کا وسیلہ بھی سمجھتے ہیں ۔ ہم اس موقع پر اپنے اس موقف کا بھی اعادہ کرناضروری سمجھتے ہیں کہ بابری مسجد سے متعلق سپریم کورٹ کا فیصلہ انصاف کے معیار پر کھرا نہیں ا ترتا ۔ یہ فیصلہ انصاف کی روح کے برخلاف آستھا اور تکنیکی نکات پر مبنی ہے ۔ خود سپریم کورٹ نے تسلیم کیا ہے کہ اس بات کی کوئی شہادت موجود نہیں ہے کہ بابری مسجد مندر کو توڑ کر بنائی گئی تھی ۔اجلاس کو اس بات پر بھی تشویش ہے کہ’’ مذہبی مقامات قانون 1991 قانون کے سختی سے نفاذ سےمتعلق سپریم کورٹ کی اپنے مذکورہ فیصلے میں یقین دہانی کے باوجود ، عدالتیں ، دیگر مسجدوں پر دعووں کی بھی شنوائی کر رہی ہیں۔ یہ رویہ عدالتی نظام پر ملک کے انصاف پسند عوام کے اعتماد کو مجروح کرنے کا باعث ہے۔
تجویز میں مزید کہا گیا کہ رام مند ر کی تقریبات میں حکومت کی فعال شرکت کو غیر منصفانہ عمل تصور کرتے ہوئے ہم یہ اپیل کرتے ہیں کہ حکومت اور اس کے اداروں کو جانب دارانہ پالیسی سے احتراز کرنا چاہیے ۔اسی کے ساتھ ہم مسلمانوں اور ملک کے عوام سے یہ بھی اپیل کرتے ہیں کہ وہ ان حالات میں ملک میں امن وامان کی برقراری کی ہر ممکن کوشش کریں۔
مجلس عاملہ میں وقف املاک سے متعلق جمعیۃ کی مرکزی وقف کمیٹی کی سفارشات پیش کی گئیں۔ چنانچہ وقف جائیدادوں کے تحفظ سے متعلق متنوع مسائل کے حل کے لیے منظم جدوجہد پر زوردیتے ہوئے یہ فیصلہ کیا گیا کہ دفتر جمعیۃ علماء ہند کے’ شعبہ اوقاف‘ کی نشاۃ ثانیہ کی جائے ، اس کے لیے مرکزی وقف کمیٹی کا کنوینر حاجی محمد ہارون صاحب بھوپال کو مقرر کیا گیا ، نیز کمیٹی کی سفارشات کے مدنظر یہ طے ہوا کہ فروری 2024 میں حیدر آباد میں نیشنل اوقاف کانفرنس منعقد کی جائے ۔
اجلاس مجلس عاملہ میں ماب لنچنگ سے متعلق نئے وضع کردہ قانون کا جائزہ لیا گیا ، یہ محسوس کیا گیا کہ اس قانون کے مختلف پہلؤوں کا تفصیلی مطالعہ ضروری ہے۔ چنانچہ اس مقصد کے لیے ایک سہ رکنی کمیٹی تشکیل دی گئی ، جس کے ارکان ( ا) ایڈوکیٹ ایم آرشمشاد (۲) ایڈوکیٹ طیب خاں (۳) ایڈوکیٹ نیاز احمد فاروقی ہیں۔یہ کمیٹی اگلے تیس دنوں میں اپنی رپورٹ پیش کرے گی ۔
اجلاس میںفلسطین میں جاری خونریز نسل کشی اورانسانی ہلاکتوں پر سخت غم وغصہ اور تشویش کا اظہار کیا گیا ۔ منظور کردہ تجویز میں کہا گیا کہ شرم ناک بات یہ ہے کہ اس صریح ظلم و بربریت کو روکنے میں اقوام متحدہ بھی ناکام ہے اور امریکہ اوراس کےحلیف اسرائیل کی پشت پناہی اور تعاون کررہے ہیں۔اس سنگین صورت حال پر جمعیۃ علما ء ہند اقوام عالم بالخصوص حکومت ہند سے مطالبہ کرتی ہے کہ وہ اپنے اثر و رسوخ کا استعمال کرکے اس ظلم و بربریت کو جلد ازجلد بند کرانے اور فلسطینیوں کو ان کا حق دلانے کی کوشش کریں اور آزاد و خود مختار فلسطینی ملک کے قیام سے متعلق اقوام متحدہ کی قراردادوں کو نافذ کرائیں ۔
اجلاس میں منی پور میں جاری تشدد اور اس کے بڑھتے دائرہ اثر پر گہری تشویش کا اظہار کیا گیا اور اسے سرکار اور مشنری کی ناکامی سے تعبیر کیا گیا ۔
اجلاس میں بحیثیت جماعت یا عہدیدار الیکشن میں کسی سیاسی جماعت کی حمایت و تشہیر سےمتعلق جمعیۃ کے موقف پر غورو خوض ہوا ۔ اس سلسلے میں یہ تجویز منظور ہوئی کہ جمعیۃ علماء ہند کے سابقہ فیصلے اور دیرینہ تعامل کے مطابق جمعیۃ کے عہدیدار انتخابات میں سیکولر سیاسی جماعتوں کی حمایت ذاتی طور پر کرسکتے ہیں ، لیکن بحیثیت جمعیۃ علماء ہند کسی مخصوص سیاسی پارٹی کی انتخابات میں حمایت نہیں کی جاسکتی ۔
گزشتہ ایام میں اس طرح کی شکایات موصول ہوئی ہیں کہ بعض یونٹوں اور عہدیداروں نے باقاعدہ جمعیۃ علماء ہند کی طرف سے مخصوص پارٹی کی حمایت کا اعلان کیا اور انتخابی مہم میں عملی طور پر حصہ لیا۔ان کے اس طرح کے عمل کو جماعت کے ضوابط کی خلاف ورزی قرار دیتے ہوئے مجلس عاملہ کا یہ اجلاس اپنی سابقہ قرار داد کا ا عادہ کرتا ہے اور اس پر سختی کے ساتھ کاربند رہنے اور ضابطہ شکنی کرنے والوں کو تنبیہ کرنے اورآئندہ ضابطہ شکنی کے خلاف تادیبی کارروائی کی ہدایت کرتا ہے ۔مجلس عاملہ میں اصلاح معاشرہ کے لیے لائحہ عمل وضع کرنے، درس قرآن کے لیے نصاب، ضابطہ عمل اور رہ نما ہدایات مرتب کرنے اور جمعیۃ بلڈنگ بلیماران وغیرہ کے لیے الگ الگ کمیٹیاں بھی تشکیل دی گئیں جو میعاد بند مدت میں اپنی رپورٹ پیش کریں گی ، نیز یہ فیصلہ ہوا کہ ماہ مئی 2024 میں مرکزی مجلس منتظمہ کا اجلاس بمقام دہلی منعقد کیا جائے، اس موقع پر کئی اہم شخصیات کے وصال پر بھی دعائے مغفرت کا اہتمام کیا گیا اور ان کے تجویز تعزیت منظور ہوئی۔ اجلاس دیر رات مولانا رحمت اللہ میر کشمیری رکن شوری ٰ دارالعلوم دیوبند کی دعاء پر ختم ہوا ۔
اجلاس میں صدر جمعیۃ علماء ہند مولانا محمود مدنی اور ناظم عمومی مولانا حکیم الدین قاسمی کے علاوہ مفتی ابوالقاسم نعمانی مہتمم دارلعلوم دیوبند، مولانا رحمت اللہ میر کشمیر، مولانا محمد سلمان بجنوری نائب صدر جمعیۃ علماء ہند ، مولانا قاری شوکت علی خازن جمعیۃ علما ء ہند ،نائب امیرا لہند مولانا مفتی محمد سلمان منصورپوری ،مولانا مفتی محمد راشد اعظمی نائب مہتمم دارالعلوم دیوبند ، مولانا عبداللہ معروفی دا رالعلوم دیوبند، حاجی محمد ہارون مدھیہ پردیش ، مولانا محمد عاقل گڑھی دولت ، مولانا مفتی محمد عفان منصورپوری ، مفتی محمد جاوید اقبال کشن گنج ، مولانا نیاز احمد فاروقی ایڈوکیٹ ، مولانا کلیم اللہ خاں قاسمی ،مولانا محمد ناظم پٹنہ ، مولانا محمد ابراہیم کیرالہ ، مولانا عبدالقدو س پالن پوری ، حافظ عبیداللہ بنارس ، مفتی عبدالرحمن قاسمی نوگاواں سادات، مولانایحیی کریمی میوات ، مفتی عبدالقادر آسام، مولانا حبیب الرحمن الہ آباد د شریک ہوئے۔
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